Economy, asked by pragnasree6652, 11 months ago

विविधीकरण के स्रोत के रूप में पशुपालन, मत्स्यपालन और बागवानी के महत्व पर टिप्पणी करें।

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Answered by nikitasingh79
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Answer:

विविधीकरण के स्रोत के रूप में पशुपालन, मत्स्यपालन और बाग़वानी के महत्व पर टिप्पणी निम्न प्रकार से हैं :  

पशुपालन :  

भारत में, कृषक समुदाय मिश्रित फसल-पशुधन कृषि प्रणाली का उपयोग करता है - मवेशी, बकरी, मुर्गी व्यापक रूप से पाए जाने वाली प्रजातियां हैं। पशुधन उत्पादन अन्य खाद्य उत्पादन गतिविधियों को बाधित किए बिना परिवार के लिए आय, खाद्य सुरक्षा, परिवहन, ईंधन और पोषण में वृद्धि की स्थिरता प्रदान करता है।

 

मत्स्यपालन :  

मछली पकड़ने का समुदाय जल निकाय को 'माँ' या 'प्रदाता' मानता है। सागर ,महासागर, नदियां ,झील, तलाब सभी जल निकाय मछुआरों के समाज के लिए जीवन स्रोत बन जाते हैं।

भारत में, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, केरल, गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु प्रमुख मछली उत्पादक राज्य हैं।

वर्तमान में, अंतर्देशीय स्रोतों से मछली उत्पादन मछली उत्पादन के कुल मूल्य में लगभग 64 प्रतिशत का योगदान देता है और शेष 36 प्रतिशत समुद्री क्षेत्र (समुद्र और महासागरों) से आता है।

 

बाग़वानी :  

भारत ने विविध बागवानी फसलों जैसे फल, सब्जियां, कंद फसलें, फूल, औषधीय और सुगंधित पौधे, मसाले फसलों को उगाना अपनाया है। भारत विभिन्न प्रकार के फलों जैसे आम, केले, नारियल, काजू और कई मसालों के उत्पादन में समस्त देशों में अग्रणी रूप में उभरा है और फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। बागवानी में लगे कई किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है और यह कई वंचित वर्गों के लिए आजीविका में सुधार का साधन बन गया है।

आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

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