व्यंग्य किसे कहते हैं और इसकी विशेषता क्या होती है
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व्यंग्य साहित्य की एक विधा है, इसके माध्यम से व्यंग्यकार जीवन की विसंगतियों, पाखंड और ढोंग को दूसरों के सामने उजागर करता है और उन पर अपनी व्यंगात्मक शैली में टिप्पणी करके दूसरों के सामने रखता है।
हमारे आसपास की कई स्थितियां ऐसी होती हैं, जिनको हम देखते हैं, समझते हैं, लेकिन उन स्थितियों को दूर करने की चेष्टा नहीं करते और वैसी स्थितियों से समझौता करके उनके अनुसार जीने की आदत डाल लेते हैं। व्यंग्यकार ऐसी ही विसंगतियों को उजागर करता हुआ लोगों को उनके प्रति चेतनाशील होने के लिए प्रेरित करता है। दूसरे शब्दों में कहें तो व्यंग समाज में घट रही विसंगतियों का चित्रण है, जिसमें किसी पर आक्षेप या आरोप सीधे ना होकर परोक्ष रूप से किया जाता है।
एकदम सरल शब्दों में कहें तो व्यंग किसी व्यक्ति, वस्तु, परिस्थिति, घटना की कठोर हास्यात्मक शैली में की गई आलोचना है, जिसमें उस व्यक्ति या वस्तु या परिस्थिति की ओर इशारा करके व्यंग्यकार उस पर हास्यात्मक शैली में आलोचना प्रस्तुत करता है।
व्यंग्य किसी की आलोचना भी हो सकता है, या किसी स्थिति पर मजाक भी हो सकता है। जब व्यंग्य एकदम हास्यात्मक शैली में किसी सार्वजनिक परिस्थिति पर किये जाते हैं, तो अक्सर सबके मन को गुदगुदाते भी हैं।
व्यंग्य जब किसी व्यक्ति विशेष पर आलोचनात्मक शैली में किये जाते हैं, उस व्यक्ति के लिये ये बेहद कटु लगते हैं।
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Answer:
What is satire and what is its specialty
Explanation:
Satire is basically a writing technique which is used by writers to mention or indicate about some corruption or bad practice of some person or something that is prevailing in a society. And the speciality of satire is that all this is done in a humourous and light way without the use of harsh words.
Hindi version;
यंग्य मूल रूप से एक लेखन तकनीक है जिसका उपयोग लेखकों द्वारा किसी व्यक्ति या किसी समाज में प्रचलित कुछ भ्रष्टाचार या बुरे व्यवहार के बारे में उल्लेख करने या इंगित करने के लिए किया जाता है। और व्यंग्य की विशेषता यह है कि यह सब कठोर शब्दों के प्रयोग के बिना विनम्र और हल्के तरीके से किया जाता है।