व्याकरण भाषा के मौखिक और लिखित दोनों ही रूपों का अध्ययन कराता है। यद्यपप
इस प्रकार के अध्ययन का क्षेत्र मौखिक भाषा ही रहती है, तथापप भाषा के लिखित रूप को
भी अध्ययन का पिषय बनाया जाता है। भाषा और लिपप के परस्पर संबंध से कभी-कभी यह
भ्ांतत भी फैि जाती है कक दोनों अलभन्न हैं। िस्तुतः भाषा लिपप के बबना भी रह सकती है।
आददम जाततयों की नई भाषाएँ के िि मौखिक रूप में ही व्यिहृत हैं, उनके पास कोई लिपप
नहीं है। पर लिपप भाषा के बबना नहीं रह सकती। ककसी भी भाषा पिशेष के लिए परंपरा के
आधार पर एक पिशेष लिपप रूद़ि हो जाती है। जैसे दहंदी के लिए देिनागरी लिपप। लिखित
भाषा स्थायी होती है। इसी के आधार पर मनुष्य की उन्नतत और पिकास यात्रा का भी ज्ञान
होता है। इसीलिए भाषा को मानि की सांस्कृततक चते ना की संिादहका भी कहा जाता है।
भाषा और समाज परस्पर अलभन्न माने जाते हैं, क्योंकक भाषा के अभाि में समाज संभि ही
नहीं हो सकता है। समाज में परस्पर अलभव्यक्क्त का साधन भाषा ही होती है।
प्रश्न (i) भाषा के लिए व्याकरण की उपयोगगता क्या है? (2)
(ii) भाषा और समाज का क्या संबंध है? (2)
(iii) दहंदी भाषा की लिपप का नाम बताइए। (1)
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