व्याख्या करें -
1) निंदक नेड राखिये, आँगणि कुट बधाई ।
बिन साबण पाँणी बिना, निरमल करै सुभाई ।।
2) भगत कारण रूप नरहरि, धरयो आप शरीर ।
बता गजराज राख्यो, काटो कुण्जर पीर ।।
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- अर्थ : जो हमारी निंदा करता है, उसे अपने अधिकाधिक पास ही रखना चाहिए। वह तो बिना साबुन और पानी के हमारी कमियां बता कर हमारे स्वभाव को साफ़ करता है.
- प्रह्लाद भी विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक थे। जब प्रह्लाद का जीवन संकट में पड़ गया था तब विष्णु ने नरसिंह का अवतार लेकर प्रह्लाद की रक्षा की थी। जब ऐरावत को मगरमच्छ ने पकड़ लिया था तो विष्णु ने मगरमच्छ को मारकर ऐरावत की जान बचाई थी।
vidya048:
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