Business Studies, asked by sahanaghosh5634, 11 months ago

वायु परिवहन के लाभों और सीमाओं को बताइए।

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Answered by marshalp810
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Answer:

वायु परिवहन जैसे तीवग्रामी साधन का महत्व भारत जैसे भौतिक दृष्टि से विविधतापूर्ण तथा विशाल देश में स्वतः स्पष्ट है। पश्चिमी देशों एवं दक्षिणी पूर्व एशिया के बीच संगम-स्थल की भांति स्थित इस देश को वायु परिवहन की दृष्टि से विश्व में केन्द्रीय स्थान प्राप्त है। यहाँ पर वायु परिवहन का प्रारम्भ 1911 में हुआ, जब इलाहाबाद से नैनी के बीच विश्व की सर्वप्रथम विमान डाक सेवा का परिवहन किया गया। 1933 में इण्डियन नेशनल एअरवेज कं. की स्थापना हुई, जिसने लाहौर से कराची के बीच विमान संचलन किया। 1935 में टाटा एअरवेज द्वारा मुम्बई-तिरुअनन्तपुरम तथा 1937 में इसी कम्पनी द्वारा मुम्बई-दिल्ली मार्ग पर विमान-सेवा प्रदान की गयी। स्वतन्त्रता प्राप्ति तक देश में 21 वायु-परिवहन कम्पनियाँ स्थापित हो चुकी थीं। 1953 में सभी वैमानिक कम्पनियों का राष्ट्रीयकरण करके उन्हें दो नवनिर्मित निगमों के अधीन कर दिया गया।

विमान सेवाओं का संचालन

देश के भीतरी भागों में विमान सेवाओं के संचालन के लिए स्थापित भारतीय विमान निगम के अन्तर्गत 8 कम्पनियाँ शामिल की गयीं जो थीं - एअरवेज इण्डिया, एअर इण्डिया, एअर सर्विसेज ऑफ़ इण्डिया, भारत एअरवेज, दक्कन एअरवेज, कलिंग एअरवेज, हिमालय एविएशन तथा इण्डियन नेशनल एअरवेज। 1997-1998 में इण्डियन एयरलाइंस के वायुमार्गां की लंबाई 68.53 करोड़ किमी थी। मुम्बई, दिल्ली, कोलकाता तथा चेन्नई से अपनी विमान सेवाओं को संचालन करने वाले इस निगम का मुख्यालय नई दिल्ली में हैं। यह देश के आन्तरिक भागों के अतिरिक्त समीपवर्ती देशों- नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, श्रीलंका, म्यांमार तथा मालदीव को भी अपने सेवाएं उपलब्ध कराता है।

देश के दूसरे वैमानिक कम्पनी एअर इण्डिया की स्थापना विदेशों के लिए विमान सेवाएं उपलब्ध कराने हेतु की गयी। इसके द्वारा विश्व के 96 देशों से भारत को जोड़ा गया है। इन दो निगमों के अतिरिक्त जनवरी, 1981 में देश की घरेलू उड़ाने के लिए वायुदूत नामक एक तीसरे निगम की स्थापना की गयी हैं, जो दुर्गम क्षेत्रों की अपनी सेवाएं उपलब्ध कराता है जहाँ इण्डियन एअरलाइंस की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। (अब इसका इंडियन एअरलाइंस में विलय कर दिया गया है)

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