व्यभिचारी भाव को संचारी भाव क्यों कहते हैं?
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व्यभिचारी भाव को संचारी भाव इसलिए कहते हैं क्योंकि ये भाव एक जगह स्थिर नही रहते तथा पानी के बुलबुले के समान चंचल होते हैं और यहाँ-वहाँ संचार करते रहते हैं।
आशा है कि आपको उत्तर पसंद आया होगा।।।
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व्यभिचारी को संचारी भाव इसलिये कहते हैं, क्योंकि व्यभिचारी भाव हर स्थायी भाव के साथ संचरण करते रहते हैं। ये भाव किसी न किसी स्थायी भाव के साथ प्रकट होते रहते हैं। यह व्यभिचारी भाव क्षणिक, अस्थायी और पराश्रित होते हैं, इन भावों की एक अपनी अलग पहचान नहीं होती। यह भाव किसी ना किसी स्थाई भाव के साथ संचरण करते रहते हैं। यह व्यभिचारी भाव स्थायी भाव के साथ ना रहकर लगभग हर किसी भाव के साथ संचरण करते रहते रहते हैं। इसलिए व्यभिचारी भाव के संचरण करने की प्रवृत्ति के कारण ही इन्हें संचारी भाव कहा जाता है।
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