"व्यक्ति के जीवन में धर्म एवं राष्ट्र की भूमिका" इस विषय पर निबंध लिखिए.
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व्यक्ति के जीवन में धर्म एवं राष्ट्र की भूमिका (निबंध)
व्यक्ति के जीवन में धर्म और राष्ट्र की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। व्यक्ति जिस राष्ट्र में रहता है, उस राष्ट्र की संस्कृति व्यक्ति के जीवन को पूरी तरह प्रभावित करती है और व्यक्ति का धर्म उसे जीने का तरीका सिखाता है। धर्म और राष्ट्र की अगर तुलना की जाए तो धर्म से अधिक राष्ट्र महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि धर्म राष्ट्र के अंतर्गत ही आ जाता है। इसलिए किसी भी व्यक्ति के जीवन में धर्म एवं राष्ट्र के संदर्भ में राष्ट्र की महत्व भूमिका अधिक महत्वपूर्ण है। राष्ट्र के अंदर ही धर्म, संस्कृति, जीवन शैली सब कुछ आ जाता है।
हालाँकि व्यक्ति का धर्म उसके जन्म से उसके जीवन को प्रभावित करता है, उसके विचारों और उसके व्यक्तित्व के निर्माण की प्रक्रिया करता है। एक राष्ट्र में रहने वाले अलग-अलग धर्मों के मानने वाले व्यक्तियों के विचार और जीवन शैली अलग-अलग हो सकते हैं. लेकिन एक राष्ट्र के रूप में पहचान एक हैं इसलिए व्यक्ति के जीवन में धर्म का अलग महत्व है और राष्ट्र का अलग महत्व है।
धर्म व्यक्ति को पृथक करता है, जो केवल एक विशेष रहन-सहन और जीवन शैली तक सीमित करता है, वहीं राष्ट्र के रूप में व्यक्ति को एकजुट करता है। धर्म के रूप में भले ही व्यक्ति की पहचान अलग-अलग हो, राष्ट्र के रूप में सबकी एक सार्वभौमिक पहचान होती है।
हम धर्म के संदर्भ में देखें तो हम भले ही हिंदू, मुस्लिम, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, ईसाई के रूप अपनी पृथक पहचान रखते हों, लेकिन राष्ट्र के रूप में हमारी एक ही पहचाना है, और वो पहचान है, भारतीय।
इसलिये व्यक्ति के जीवन में धर्म की अपेक्षा राष्ट्र की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण होती है।
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Explanation:
व्यक्ति के जीवन मे धर्म की अपेक्षा राष्ट्र की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण है