Hindi, asked by cutiepie2005, 11 months ago

'व्यक्ति की पहचान उसकी पोशाक से होती है' इस विषय पर लिखिए

Answers

Answered by akashdangi100
13

व्यक्ति कि पहचान उसकि पोशाक से नहि उसके गुणों से होती है

चरित्र का अच्छा होना । यह गुण प्रत्येक व्यक्ति में होना चाहिए क्योंकि इसके बिना मनुष्य और पशु में कोई खास अंतर नहीं रह जाता । सच्चरित्रता एक ऐसा गुण है जो मनुष्य को केवल पशु से ही ऊपर नहीं उठाता अपितु उसे महामानव बना देता है ।

आदमी की पहचान उसके चरित्र से ही होती है । यदि उसका चरित्र अच्छा होता है तो वह समाज में सम्मानित होता है । सच्चरित्र व्यक्ति अपने रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं को पार करके समाज के सम्मुख एक आदर्श प्रस्तुत करता है ।

सबसे बढ़कर उसे स्वयं पर पूरा-पूरा भरोसा होता है वह प्रत्येक कार्य दुविधामुक्त होकर पूर्ण करता है । वह अपने अच्छे कार्यों एवं चरित्र के बल पर विरोधियों का दिल भी जीत लेता है । चरित्रवान् व्यक्ति किसी प्रकार के प्रलोभन में नहीं पड़ता । सच्चाई, ईमानदारी, दृढ़ निष्ठा, आत्मविश्वास आदि गुण ऐसे व्यक्ति में स्वाभाविक तौर पर होते हैं ।

वह मर्यादाओं का पालन इसलिए नहीं करता कि उसे लोगों की नजरों में ऊँचा उठना है बल्कि इसलिए कि उसे मर्यादाओं के पालन में आत्मिक खुशी होती है । चरित्रवान् व्यक्ति धन-संपत्ति की हानि सह सकता है विपत्तियों को सहर्ष स्वीकार कर सकता है परतु अपनी चारित्रिक विशेषताओं की तिलांजलि नहीं दे सकता ।

सच्चरित्रता के कई रूप हैं । कुछ लोग सदा सत्य बोलते हैं और इसे ही अपने चरित्र की विशेषता बदलाते हैं । कुछ लोग अत्यंत कठिन मौके पर झूठ भी बोलते हैं क्योंकि वे सच बोलकर दूसरों को विपत्ति में नहीं डालना चाहते । यह भी एक प्रकार का चारित्रिक गुण कहा जा सकता है ।

कुछ व्यक्ति चोरी न करने, पर स्त्री को बुरी नजर से न देखने, अभद्र भाषा का प्रयोग न करने, दूसरों के धन को तृणवत् समझने आदि को चरित्र का गुण मानते हैं । कई व्यक्तियों का मत है कि किसी प्रकार का अन्याय न सहना भी एक प्रकार का चारित्रिक गुण ही है ।

इस प्रकार सच्चरित्रता का दायरा कहाँ तक है, इसे परिभाषित नहीं किया जा सकता । पर हम इतना जरूर कह सकते हैं कि चरित्र का बल सभी प्रकार के शारीरिक एवं मशीनी बलों से बढ़कर है । वह जो चरित्रवान् नहीं है, पतन के रास्ते पर शीघ्र चल पड़ता है । एक कहावत भी है कि धन चला गया तो समझो कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य बिगड़ा तो कुछ बिगड़ गया परंतु चरित्र चला गया तो समझो सब कुछ चला गया ।

सच्चरित्र महापुरुषों को लोग हमेशा याद करते हैं । राम और कृष्ण अपने चरित्र-बल के कारण साधारण मनुष्य से करोड़ों लोगों के आराध्य देव बन गए । सत्य हरिश्चंद्र ने अपने चरित्र एवं सिद्‌धांतों की रक्षा के लिए क्या-क्या कष्ट नहीं सहे !

महात्मा गाँधी ने चारित्रिक गुणों को धारण कर विश्वव्यापी अँगरेजी साम्राज्यवाद की जड़ों को हिलाकर रख दिया । महाराणा प्रताप ने जीवन भर अपने चरित्र को नहीं छोड़ा । एक साधारण से जुलाहा कबीर अपने चारित्रिक विशेषताओं के कारण महान संत बन गए ।

अच्छा चरित्र सभी तरह की धन-संपत्ति से बढ़कर है । यह हमारा हृदय निर्मल बनाता है । यह कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है । यह हमारे दुर्दिनों का सबसे बड़ा संबल है । सच्चरित्रता मनुष्य की आत्मा की पुकार और उसका सर्वस्व है ।

Answered by avinasismiranda10
0

Answer:

व्यक्ति कि पहचान उसकि पोशाक से नहि उसके गुणों से होती है

चरित्र का अच्छा होना । यह गुण प्रत्येक व्यक्ति में होना चाहिए क्योंकि इसके बिना मनुष्य और पशु में कोई खास अंतर नहीं रह जाता । सच्चरित्रता एक ऐसा गुण है जो मनुष्य को केवल पशु से ही ऊपर नहीं उठाता अपितु उसे महामानव बना देता है ।

आदमी की पहचान उसके चरित्र से ही होती है । यदि उसका चरित्र अच्छा होता है तो वह समाज में सम्मानित होता है । सच्चरित्र व्यक्ति अपने रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं को पार करके समाज के सम्मुख एक आदर्श प्रस्तुत करता है ।

सबसे बढ़कर उसे स्वयं पर पूरा-पूरा भरोसा होता है वह प्रत्येक कार्य दुविधामुक्त होकर पूर्ण करता है । वह अपने अच्छे कार्यों एवं चरित्र के बल पर विरोधियों का दिल भी जीत लेता है । चरित्रवान् व्यक्ति किसी प्रकार के प्रलोभन में नहीं पड़ता । सच्चाई, ईमानदारी, दृढ़ निष्ठा, आत्मविश्वास आदि गुण ऐसे व्यक्ति में स्वाभाविक तौर पर होते हैं ।

वह मर्यादाओं का पालन इसलिए नहीं करता कि उसे लोगों की नजरों में ऊँचा उठना है बल्कि इसलिए कि उसे मर्यादाओं के पालन में आत्मिक खुशी होती है । चरित्रवान् व्यक्ति धन-संपत्ति की हानि सह सकता है विपत्तियों को सहर्ष स्वीकार कर सकता है परतु अपनी चारित्रिक विशेषताओं की तिलांजलि नहीं दे सकता ।

सच्चरित्रता के कई रूप हैं । कुछ लोग सदा सत्य बोलते हैं और इसे ही अपने चरित्र की विशेषता बदलाते हैं । कुछ लोग अत्यंत कठिन मौके पर झूठ भी बोलते हैं क्योंकि वे सच बोलकर दूसरों को विपत्ति में नहीं डालना चाहते । यह भी एक प्रकार का चारित्रिक गुण कहा जा सकता है ।

Similar questions