व्यक्तित्व का विशेषक उपागम क्या है? यह कैसे प्ररूप उपागम से भिन्न है ?
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प्रत्येक व्यक्ति में कुछ विशेष गुण या विशेषताएं होती हो जो दूसरे व्यक्ति में नहीं होतीं। इन्हीं गुणों एवं विशेषताओं के कारण ही प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे से भिन्न होता है। व्यक्ति के इन गुणों का समुच्चय ही व्यक्ति का व्यक्तित्व कहलाता है। व्यक्तित्व एक स्थिर अवस्था न होकर एक गत्यात्मक समष्टि है जिस पर परिवेश का प्रभाव पड़ता है और इसी कारण से उसमें बदलाव आ सकता है। व्यक्ति के आचार-विचार, व्यवहार, क्रियाएं और गतिविधियों में व्यक्ति का व्यक्तित्व झलकता है। व्यक्ति का समस्त व्यवहार उसके वातावरण या परिवेश में समायोजन करने के लिए होता है।
"विशेषक उपागम मुख्य रूप से व्यक्तित्व के आधारभूत घटक के विशेषीकरण और वर्णन से संबंध रखते हैं। मनुष्य बहुत सारे मनोवैज्ञानिक गुणों से अपनी भिन्नताओं को प्रदर्शित करते हैं। ये व्यक्तित्व निर्माण के मूल तत्वों को खोजते हैं।
प्ररूप उपागम व्यक्ति के केवल कुछ चुनिन्दा प्ररूपों को आधार बनाकर व्यक्तित्व का वर्णन करने का प्रयास करता है जिसमें कुछ निश्चित विशेषकों पर ज़ोर दिया जाता है।"