व्यक्ति दुखी कब होता है तथा क्यों होता है।
Answers
Answer:
please mark brainliest
भौतिकवाद ने अनगिनत नई कामनाओं को उत्पन्न कर दिया है अपनी चादर से अधिक पैर पसारते हैं,कामनाएं पूरी नहीं होती,धन कितना भी हो,उसका अभाव लगता है इसलिए दुखी होते है।
क्रोध आने पर अपना भावनात्मक और रिश्तों का नुकसान कर लेते हैं,फिर अकेलापन दुखी करता है।
लालच में आकर गलत कर्म कर बैठते हैं,उसका कर्म फल और उनकी आत्मा की दुत्कार उनको दुखी करती है।
जिन बच्चों के पालन पोषण में स्वयं का भी ध्यान नहीं रखा ,कहाँ उम्र गुज़र गई,पता ही नहीं चला।
‘आपने हमारे लिये किया ही क्या है’यह व्यंग्यबाण माता पिता के हृदय के पार जाकर उनको निराशा के अंधकूप में धकेल देता है।
मेरे पास तो सब कुछ है,मैं बहुत बुद्धिमान हूं,बहुत व्यवहार कुशल हूं,अपने से नीचे स्तर के व्यक्ति को अपने आगे कुछ न समझने से व्यक्ति कुछ चाटुकारों के मध्य अपने को राजा समझता है।बाद में कठिन समय आने पर सबकी असलियत खुल जाती है,अपने पराए हो चुके होते हैं,तो दुखी होते हैं।
अतीत की गलतियों को न सुधारकर वही गलतियाँ जानबूझ कर करते हैं, स्वयं को झूठा दिलासा व बहाने देते हैं तो दुखी होते हैं।
अवसर की गाड़ी जब आयु के स्टेशन से छूट जाती है,तो दुखी होते हैं।उसके बाद बजाय अगली गाड़ी की प्रतीक्षा और टिकट बुक कराने का प्रयास करने के वापिस घर जाकर निराशा के अंधेरे कोने में जाकर बैठ जाते हैं,तो दुखी होते हैं।
दुखों के मूल में ये पाँच विकार काम,क्रोध,लोभ,मोह और अहंकार और अतीत के कर्मफल काम करते हैं।
विवेक का सदुपयोग करने से,बिना माँग के ईश्वर का स्मरण करने से,समर्पण और शुक्राने का भाव रखने से इनकी तीव्रता से बचा जा सकता है।