व्यख्या कीजिए कि आ गया वह वायु वाही मित्र का नव राग बुलबुले गाने लगे जाग प्यारी जाग रोगियों का प्राण है तेरा अतुल अनुराग पर ना बन देवी ना संपुट खोल तू मत जा विश्व के बाजार में मत भेज मधुर पराग खुली बनखेड़ी या कि तू बेमोल हार हैयह तो हृदय मत खोल
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