Hindi, asked by deepakchauhan84, 11 months ago

vaasudeve agrvaal की (जीवन परिचय) ​

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Answered by amit7079
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वासुदेव शरण अग्रवाल (1904 - 1967) भारत के इतिहास, संस्कृति, कला एवं साहित्य के विद्वान थे। वे साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हिन्दी गद्यकार हैं।

जीवन-परिचय

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हिंदी गद्य के लोकविश्रुत रचनाकार वासुदेव शरण अग्रवाल जी का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद में स्थित खेड़ा नामक ग्राम में 6 अगस्त,1904 ई. को हुआ था। माता का निवास लखनऊ में होने के कारण इनका बचपन यहीं व्यतीत हुआ। माता-पिता की छत्र-छाया में रहकर अपनी शिक्षा भी अापने यहीं प्राप्त की लखनऊ विश्वविद्यालय से 1929 में एम•ए• करने के पश्चात् 1940 तक मथुरा पुरातत्व संग्रहालय के अध्यक्ष रहे। 1941 में पी-एच•डी• तथा 1946 में डी•लिट• की उपाधि प्राप्त की। 1946 से 1951 तक सेंट्रल एशियन एंटिक्विटीज म्यूजियम के सुपरिंटेंडेंट और भारतीय पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष रहे। सन् 1951 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के काॅलेज ऑफ इंडोलाॅजी (भारती महाविद्यालय) में प्रोफेसर का पद सुशोभित किया। सन् 1952 में लखनऊ विश्वविद्यालय में राधाकुमुद मुखर्जी व्याख्याननिधि की ओर से व्याख्याता नियुक्त हुए। व्याख्यानमाला 'पाणिनि' पर आयोजित की गयी थी। इसके अतिरिक्त भारतीय मुद्रापरिषद् (नागपुर), भारतीय संग्रहालय परिषद् (पटना), ऑल इंडिया ओरिएंटल काँग्रेस, फाइन आर्ट सेक्शन (बंबई) आदि संस्थाओं के सभापति भी रहे । इनकी मृत्यु सन 1967 ई० में हुआ। [1]

रचनात्मक परिचय

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वासुदेवशरण अग्रवाल के कृतित्व एवं तज्जनित यश का अमर आधार उनके द्वारा संस्कृत एवं हिन्दी के अनेक ग्रन्थों का किया हुआ सांस्कृतिक अध्ययन एवं व्याख्या है। संस्कृत में कालिदास एवं बाणभट्ट के ग्रन्थों से लेकर पुराण एवं महाभारत तक तथा हिन्दी में विद्यापति के अवहट्ठ काव्य से लेकर जायसी के अवधी भाषा के अमर महाकाव्य 'पद्मावत' तक विशाल एवं बहुआयामी ग्रन्थरत्न उनके अवगाहन के विषय रहे हैं। "पाणिनिकालीन भारतवर्ष" नामक उनकी कृति भारतविद्या का अनुपम ग्रन्थ है। इसमें उन्होने पाणिनि के अष्टाध्यायी के माध्यम से भारत की संस्कृति एवं जीवनदर्शन पर प्रकाश डाला है। उन्होंने भाषा एवं साहित्य के सहारे भारत का पुन: अनुसंधान किया है और उसमें वैज्ञानिक एवं तर्कपूर्ण विधि का प्रयोग किया है। यह ग्रन्थ विश्वकोशीय स्वरूप का हो गया है और अनुक्रमणिका के सहारे कोशीय रूप में उसका अध्ययन सुलभ भी है और उत्तम भी।

प्रकाशित कृतियाँ

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ग्रन्थाधारित विवेचनात्मक अध्ययन

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मेघदूत : एक अध्ययन - 1953 (राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली)

हर्षचरित : एक सांस्कृतिक अध्ययन - 1953 (बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् , पटना)

पाणिनिकालीन भारतवर्ष - 1955 (चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी)

पद्मावत (मूल और संजीवनी व्याख्या) - 1955 (साहित्य सदन, चिरगाँव, झाँसी)

कादम्बरी : एक सांस्कृतिक अध्ययन - 1957 (चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी)

मार्कण्डेय पुराण : एक सांस्कृतिक अध्ययन - 1961 (हिन्दुस्तानी एकेडमी, इलाहाबाद)

कीर्तिलता (ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन तथा संजीवनी व्याख्या सहित) - 1962 (साहित्य सदन, चिरगाँव, झाँसी)

भारत सावित्री (आलोचनात्मक संस्करण के पाठ पर आधारित महाभारत की कथा सार रूप में महत्त्वपूर्ण टिप्पणियों सहित) - तीन खण्डों में - 1957,1964,1968 (सस्ता साहित्य मंडल, नयी दिल्ली)

स्वतंत्र विषयक ग्रन्थ

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भारत की मौलिक एकता - 1954 (लीडर प्रेस, इलाहाबाद)

भारतीय कला (प्रारंभिक युग से तीसरी शती ईस्वी तक) - 1966 (पृथिवी प्रकाशन, वाराणसी)

विविध विषयक निबन्ध संग्रह

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पृथिवी-पुत्र - 1949 (सस्ता साहित्य मंडल, नयी दिल्ली)

उरु-ज्योति - 1952 (श्रीकन्हैयालाल वैदिक प्रकाशन निधि, गाज़ियाबाद की ओर से प्रकाशित)

कल्पवृक्ष - 1953 (सस्ता साहित्य मंडल, नयी दिल्ली)

माताभूमि -1953

कला और संस्कृति - 1952 (साहित्यभवन लिमिटेड, इलाहाबाद)

इतिहास-दर्शन - 1978 (पृथिवी प्रकाशन, वाराणसी)

भारतीय धर्ममीमांसा (पृथिवी प्रकाशन, वाराणसी)

संपादन एवं अनुवाद

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पोद्दार अभिनन्दन ग्रन्थ - 1953

"हिन्दू सभ्यता - 1955 (राधाकुमुद मुखर्जी की अंग्रेजी पुस्तक का अनुवाद)

शृंगारहाट (डाॅ• मोतीचन्द्र के साथ)

अंग्रेजी में प्रकाशित

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Vedic Lectures

Vision in Long Darkness

Hymn of Creation (Nasadiya Sukta)

The Deeds of Harsha

Indian Art

India - A Nation

Masterpieces of Mathura Sculpture

Ancient Indian Folk Cults

Evolution of the Hindu Temple & other Essays

A Museum Studies

Varanasi Seals and Sealing

सम्पादित

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Imperial Gupta Epigrapha

The Song Celestial (Gita's Translation by Arnold)

Cloud Messenger (Meghaduta's Translation by Wilson)

उनकी चयनित प्रतिनिधि रचनाओं (हिन्दी) को पढ़ने के लिए साहित्य अकादमी दिल्ली से प्रकाशित उत्तम बृहत् संचयन है वासुदेवशरण अग्रवाल रचना संचयन।

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