Hindi, asked by Abhik05, 1 year ago

vaayu pradushan par nibandh....NO SPAM NO COPIED ANSWER....ONLY HANDWRITTEN ANSWERS I NEED​

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Answered by CutyRuhi
5

Hey dude...

☺वायू प्रदूषण☺

प्रदूषण इन्सानी सेहत के लिये एक बहुत बड़ी समस्या बनता जा रहा है। उसके बहुत से कारण हैं। हवा में प्रदूषण का एक कारण कुदरती जरिया है उड़ती हुई धूल। कारखानों के परिचालन या जंगल की आग से तमाम किस्म के हानिकारक कण हवा में दाखिल हो जाते हैं, जिनसे पर्यावरण में प्रदूषण फैलता रहता है। जब जंगल में आग लगती है तो उससे जंगल जलकर राख हो जाते हैं और यही राख जब हवा में दाखिल होती है तो प्रदूषण फैलाती है। दूसरी सबसे बड़ी वजह आबादी का बढ़ना और लोगों का खाने-पीने और आने-जाने के लिये साधन उपलब्ध करवाना है जिसकी वजह से स्कूटर, कारों और उनके उद्योगों का बढ़ना, थर्मल पावर प्लाण्ट का बढ़ना, कारों की रफ्तार का बढ़ना, प्राकृतिक पर्यावरण में बदलाव का होना है।जहाँ पर वायु को प्रदूषित करने वाले प्रदूषक ज्यादा हो जाते हैं, वहाँ पर आँखों में जलन, छाती में जकड़न और खाँसी आना एक आम बात है। कुछ लोग इसको महसूस करते हैं और कुछ लोग इसको महसूस नहीं करते लेकिन इसकी वजह से साँस फूलने लगती है। अन्जायना (एक हृदयरोग) या अस्थमा (फेफड़ों का एक रोग), या अचानक सेहत खराब होना भी वायु प्रदूषण की निशानी है। जैसे-जैसे वायु में प्रदूषण खत्म होने लगता है स्वास्थ्य ठीक हो जाता है। कुछ लोग बहुत ही नाजुक होते हैं जिनके ऊपर वायु प्रदूषण का प्रभाव बहुत तेज और जल्दी हो जाता है और कुछ लोगों पर अधिक देर से होता है। बच्चे, बड़ों की तुलना में अधिक नाजुक होते हैं इसलिये उनके ऊपर वायु प्रदूषण का प्रभाव अधिक पड़ता है। और वो बीमार पड़ जाते हैं। जिसकी वजह से बच्चों में वरम और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियाँ हो जाती हैं। अधिक वायु प्रदूषण के समय बच्चों को घरों में ही रखना चाहिए, जिससे उनको वायु प्रदूषण से बचाया जा सके।

Hope it helps you❤❤❤


Abhik05: Thanks
CutyRuhi: welcome
Answered by cutepandaishere
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प्रदूषण इन्सानी सेहत के लिये एक बहुत बड़ी समस्या बनता जा रहा है। उसके बहुत से कारण हैं। हवा में प्रदूषण का एक कारण कुदरती जरिया है उड़ती हुई धूल। कारखानों के परिचालन या जंगल की आग से तमाम किस्म के हानिकारक कण हवा में दाखिल हो जाते हैं, जिनसे पर्यावरण में प्रदूषण फैलता रहता है। जब जंगल में आग लगती है तो उससे जंगल जलकर राख हो जाते हैं और यही राख जब हवा में दाखिल होती है तो प्रदूषण फैलाती है। दूसरी सबसे बड़ी वजह आबादी का बढ़ना और लोगों का खाने-पीने और आने-जाने के लिये साधन उपलब्ध करवाना है जिसकी वजह से स्कूटर, कारों और उनके उद्योगों का बढ़ना, थर्मल पावर प्लाण्ट का बढ़ना, कारों की रफ्तार का बढ़ना, प्राकृतिक पर्यावरण में बदलाव का होना है।जहाँ पर वायु को प्रदूषित करने वाले प्रदूषक ज्यादा हो जाते हैं, वहाँ पर आँखों में जलन, छाती में जकड़न और खाँसी आना एक आम बात है। कुछ लोग इसको महसूस करते हैं और कुछ लोग इसको महसूस नहीं करते लेकिन इसकी वजह से साँस फूलने लगती है। अन्जायना (एक हृदयरोग) या अस्थमा (फेफड़ों का एक रोग), या अचानक सेहत खराब होना भी वायु प्रदूषण की निशानी है। जैसे-जैसे वायु में प्रदूषण खत्म होने लगता है स्वास्थ्य ठीक हो जाता है। कुछ लोग बहुत ही नाजुक होते हैं जिनके ऊपर वायु प्रदूषण का प्रभाव बहुत तेज और जल्दी हो जाता है और कुछ लोगों पर अधिक देर से होता है। बच्चे, बड़ों की तुलना में अधिक नाजुक होते हैं इसलिये उनके ऊपर वायु प्रदूषण का प्रभाव अधिक पड़ता है। और वो बीमार पड़ जाते हैं। जिसकी वजह से बच्चों में वरम और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियाँ हो जाती हैं। अधिक वायु प्रदूषण के समय बच्चों को घरों में ही रखना चाहिए, जिससे उनको वायु प्रदूषण से बचाया जा सके।


Abhik05: U copied this answer from previous answer..stupid
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