वह स्वयं ही दृढ़ता व साहस की मूर्ति थी। उतार-चढ़ाव तो हर इंसान की
ज़िन्दगी में आते ही रहते हैं। उसने साहस से काम लिया। उसने विवाह का
सपना देखना ही छोड़ दिया। उसके सामने इतनी लम्बी ज़िन्दगी पड़ी थी
जिसका वह एक क्षण भी व्यर्थ नहीं होने देना चाहती थी।
(ii) उसने विवाह का सपना देखना क्यों छोड़ दिया ?
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उसके सामने इतनी लम्बी जिन्दगी पड़ी थी। जिसका वह एक क्षण भी व्यर्थ नहीं होने देना चाहती थी। इसलिए उसने विवाह का सपना देखना छोड़ दिया।
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