वह तोड़ती पत्थर कविता के संदर्भ में मजदूर वर्ग के अवलोकन पर अपना अनुभव लिखिए
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थीम = कविता का संदेश; बिंदु को लेखक बनाना चाहती है
विषय = कविता क्या है ('विषय वस्तु')।
स्वर = अपने विषय के प्रति लेखक का रवैया
मूड = भावनाओं को व्यक्त किया। इसमें शामिल है कि लेखक / वक्ता क्या महसूस करते हैं और कविता को पढ़ते समय पाठक को कैसे महसूस होता है। मई माहौल से भी संबंधित हो सकता है ..
रंग - सफेद शुद्धता और सफाई का सुझाव देते हैं; लाल - जुनून और कभी-कभी रक्त / हिंसा; काला - अंधेरा और निराशा; हरा ईर्ष्या या प्रकृति / नए विकास का सुझाव दे सकता है; पीला
सकारात्मक या नकारात्मक विशेषण - जबरदस्त, बेहोश, शानदार, स्वर्गीय वी के भारी, बदसूरत, जंगली, भयानक, भयावह।
सकारात्मक या नकारात्मक क्रिया - चमकने के लिए, वसंत करने के लिए इकट्ठा करने के लिए, पकड़ने के लिए, आराम करने के लिए, रोशनी करने के लिए, खिलने, खिलाने, भरने, ध्यान, गाना, छोड़ना,
विषय = कविता क्या है ('विषय वस्तु')।
स्वर = अपने विषय के प्रति लेखक का रवैया
मूड = भावनाओं को व्यक्त किया। इसमें शामिल है कि लेखक / वक्ता क्या महसूस करते हैं और कविता को पढ़ते समय पाठक को कैसे महसूस होता है। मई माहौल से भी संबंधित हो सकता है ..
रंग - सफेद शुद्धता और सफाई का सुझाव देते हैं; लाल - जुनून और कभी-कभी रक्त / हिंसा; काला - अंधेरा और निराशा; हरा ईर्ष्या या प्रकृति / नए विकास का सुझाव दे सकता है; पीला
सकारात्मक या नकारात्मक विशेषण - जबरदस्त, बेहोश, शानदार, स्वर्गीय वी के भारी, बदसूरत, जंगली, भयानक, भयावह।
सकारात्मक या नकारात्मक क्रिया - चमकने के लिए, वसंत करने के लिए इकट्ठा करने के लिए, पकड़ने के लिए, आराम करने के लिए, रोशनी करने के लिए, खिलने, खिलाने, भरने, ध्यान, गाना, छोड़ना,
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मजदूर वर्ग इस समाज का एक ऐसा वर्ग है। जिसे गरीब समझते नहीं और अमीर और शक्तिशाली लोग हमेशा अपने दौलत के बल पर दबाकर रखना चाहते हैं। शायद यही वजह है कि आज इन सब कारणों के वजह से समाज में मजदूर वर्ग की स्थिति ठीक नहीं होती।
मजदूर मेहनत करने से नहीं डरते क्योंकि वे जानते हैं कि यदि वह मेहनत नहीं करेंगे तो पेट नहीं भर पाएंगे। वहीं अमीर वर्ग मजदूर से काम तो लेते हैं मगर पैसे उतना नहीं देते जितना मजदूर की साधारण रूपया होता है।
यह अमीर दबंग लोग गरीब का मारकर खुद अमीर बनते हैं। वह केवल अपना सोचते हैं गरीब को कोई नहीं पूछता। यही वजह गरीब को और गरीब बढ़ा रही है।
दिन प्रतिदिन गरीब की संख्या बढ़ रही है। यदि मजदूर के साथ न्याय किया जाएं तो शायद यह गरीबों की आंकड़े कम हो जाए।
मजदूर मेहनत करने से नहीं डरते क्योंकि वे जानते हैं कि यदि वह मेहनत नहीं करेंगे तो पेट नहीं भर पाएंगे। वहीं अमीर वर्ग मजदूर से काम तो लेते हैं मगर पैसे उतना नहीं देते जितना मजदूर की साधारण रूपया होता है।
यह अमीर दबंग लोग गरीब का मारकर खुद अमीर बनते हैं। वह केवल अपना सोचते हैं गरीब को कोई नहीं पूछता। यही वजह गरीब को और गरीब बढ़ा रही है।
दिन प्रतिदिन गरीब की संख्या बढ़ रही है। यदि मजदूर के साथ न्याय किया जाएं तो शायद यह गरीबों की आंकड़े कम हो जाए।
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