वह तोड़ती पत्थर कविता में निराला ने प्रतिकूल परिस्थितियों में श्रम करती महिला का चित्रण किया है आप भी किसी श्रमरत व्यक्ति का शब्द चित्र अपने शब्दों में लिखिए
Answers
Answered by
1
निराला जी की कविता में एक अजीब सा दर्द महसूस होता है। यह दर्द महसूस भी क्यों न हो भला। उनका जीवन दर्द के आंसूओं से जो भरा हुआ था।
वह तोड़ती पत्थर में एक महिला धूप में श्रम करती है। अपने तन को धूप में जलाती है। सिर्फ अपने परिवार का भरण -पोषण करने के लिए।
इस कविता के तरह आज भी हमारे समाज में कुछ ऐसी श्रमिक महिला है जो दो पल की खुशी अपने बच्चों को देने के लिए बहुत मेहनत करती है।
धूप में नंगे पांव चलती है और अपने बच्चों के स्कूल के लिए जूते खरीदती है। खुद संघर्ष करती है।
ऐसे महिलाओं के संघर्ष को देखकर सर फक्र से उठ जाता है।
वह तोड़ती पत्थर में एक महिला धूप में श्रम करती है। अपने तन को धूप में जलाती है। सिर्फ अपने परिवार का भरण -पोषण करने के लिए।
इस कविता के तरह आज भी हमारे समाज में कुछ ऐसी श्रमिक महिला है जो दो पल की खुशी अपने बच्चों को देने के लिए बहुत मेहनत करती है।
धूप में नंगे पांव चलती है और अपने बच्चों के स्कूल के लिए जूते खरीदती है। खुद संघर्ष करती है।
ऐसे महिलाओं के संघर्ष को देखकर सर फक्र से उठ जाता है।
Similar questions
English,
8 months ago
CBSE BOARD X,
8 months ago
Physics,
8 months ago
Political Science,
1 year ago
Chemistry,
1 year ago