"वक्षृ ारोपर् का महत्तत्तव" इस ववषय पर (िगभग 150 शब्दों में ) संक्षक्षप्त ननबंध लिखिए
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Explanation:
वृक्षरोपण का शाब्दिक अर्थ है-‘वृक्षों को उगाना’ । प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने के लिए वृक्षारोपण अत्यावश्यक है। मानव जीवन को सुखी तथा समृद्ध बनाए रखने के लिए वृक्षों का बहुत महत्व है। वृक्षों का महत्व : सभ्यता के विकास से पूर्व मानव वृक्षों पर या वक्षों से ढकी कंदराओं में ही रहा करता था तथा फल-फूल खाकर ही जीवित रहता था। वृक्षों की छाल को तन ढकने के लिए प्रयोग करता था।
सर्दियों में पत्तियों के बिस्तर पर ही सोता था। वह इन वृक्षों को देवता के रूप में आराधना भी करता था। उस समय वृक्ष ही सर्दी, गर्मी, बरसात में उसकी माता-पिता के समान रक्षा करते थे। यह परम्परा आज भी जीवित है। आज भी हम पीपल, तुलसी बड़, केला इत्यादि के वृक्षों की पूजा करते हैं। इसीलिए पेड़ों को काटना हमारे लिए नुकसानदायक भी है और पाप करने वाला भी है।
औद्योगिकरण-पेड़ों के विनाश का कारण :
शहरीकरण तथा औद्योगिकरण | की बढ़ती हुई प्रवृत्ति के कारण ही आज शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों से भी पेड़ विलीन होते जा रहे हैं। आज शहरों में लहलहाते खेत तथा हरे-भरे पौधों के स्थान पर आसमान छूती इमारतें बन चुकी हैं। हर जगह उद्योग स्थापित किए जा रहे हैं और पेड़ों को बड़ी निर्दयता से काटा जा रहा है।
आज यदि थकाहरा पथिक दो क्षण रुककर विश्राम करना चाहे तो उसके लिए कोई छायादार पेड़ ही नहीं बचा है। वायु में ऑक्सीजन की कमी होती जा रही है तथा कार्बन डाइ-ऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। इससे लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है तथा श्वाँस रोग, अनिद्रा रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, नेत्र रोग इत्यादि बढ़ रहे हैं। ईधन के दाम बढ़ रहे हैं क्योंकि पेड़ कम हो रहे हैं। भूमि की उर्वरता भी कम हो रही है इसलिए अनाज भी कम पैदा हो रहा है।
वन-महोत्सव :
वृक्षों की कमी तथा उनके दुष्प्रभाव को देखते हुए सन् 1950 में भारत सरकार ने ‘वन-महोत्सव’ की योजना प्रारम्भ की थी।जगह-जगह नए वृक्ष लगाने का काम बहुत तीव्रगति से प्रारम्भ किया गया। लेकिन 1950 के वन-महोत्सव की इस योजना में शिथिलता होने लगी और लोगों ने इसमें उत्साह दिखाना बंद कर दिया।
वृक्षारोपण :
वृक्षों के महत्व को ध्यान में रखते हुए आज भारत-सरकार की ओर से वृक्षारोपण का कार्य-स्थानीय निकायों को सौंपा गया है। 12 नवम्बर, सन् 1976 को केन्द्र सरकार ने प्रत्येक राज्य सरकार को यह लिखित संदेश भेज दिया कि केन्द्र सरकार की आज्ञा के बिना किसी भी राज्य में जंगलों की कटाई व सफाई नहीं की जाएगी। तभी से लेकर वृक्षारोपण का यह कार्य प्रत्येक विद्यालय में भी जुलाई के महीने में होता है। बच्चे अपने घरों में तथा स्कूलों में वृक्षारोपण का कार्य करते हैं तथा अध्यापक भी इस कार्य में उनका साथ देते हैं।