वनं, जलं, वाय:, ु सौरशति:, इत्यादीनां प्राकृतिक- संसाधनानां तवषये श्लोक संगह्य ृ लेखनं .
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जल से संसार के सभी प्राणी उत्पन्न होते हैं और जीवित
रहते हैं। अतः सभी दानों में जल का दान सर्वोत्तम माना
जाता है-
अद्भिः सर्वाणि भूतानि जीवन्ति प्रभवन्ति च।
तस्मात् सर्वेषु दानेषु तयोदानं विशिष्यते।। महाभारत
शान्तिपर्व दा० पा०
महाभारत में कहा गया है कि , संसार में जल से ही
समस्त प्राणियों को जीवन मिलता है। जल का दान
करने से प्राणियों की तृप्ति होती है। जल में अनेक दिव्य
गुण हैं। ये गुण परलोक में भी लाभ प्रदान करते हैं-
पानीयं परमं लोके जीवानां जीवनं समृतम्।
पानीयस्य प्रदानेन तृप्तिर्भवति पाण्डव।
पानीयस्य गुणा दिव्याः परलोके गुणावहाः।।
आश्व.92दा.पा.
जल को अग्नि का स्वरूप माना गया है। जल, पृथ्वी की
योनि है। जल अमृत की उत्पत्ति का स्थान है। इसीलिए
महापुरुषों का कहना है कि, जल सभी प्राणियों का
आधार है-
अग्नेर्मूतिः क्षितेोनिरमृतस्य च सम्भवः।
अतोऽम्भः सर्वभूतानां मूलमित्युच्यते बुधैः।।
वनं, जलं,
वाय:, ु
सौरशति:,
इत्यादीनां
प्राकृतिक-
संसाधनानां
तवषये श्लोक
संगह्य ृ
लेखनं