वनों के संरक्षण और सुरक्षा में महिलाओं और समुदायों की भूमिका की चर्चा करें।
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वनों के संरक्षण और सुरक्षा में महिलाओं और समुदायों की भूमिका निम्न प्रकार से है :
सर्वप्रथम 18वीं शताब्दी में राजस्थान के जोधपुर में खेजड़ी गांव में वन संरक्षण हेतु चिपको आंदोलन की शुरुआत हुई। तब वहां के तत्कालीन महाराज ने अपने महल निर्माण हेतु विश्नोई समाज के खिचड़ी गांव के वृक्षों को काटने का आदेश दिया। जब राजा के सैनिक वृक्ष काटने को खेजड़ी पहुंचे तो उन्हें अमृता देवी के नेतृत्व में स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। लोगों ने पेड़ से चिपक कर सैनिकों को वृक्ष काटने से रोका।
जब अनेक बार समझाने के बाद भी लोग अपने स्थान से नहीं हिले, तो राजा के सैनिकों ने लोगों को पेड़ समेत ही काटना शुरू कर दिया। इस नरसंहार में महिलाओं तथा बच्चों समेत 363 लोग मारे गए। यह पर्यावरण संरक्षण का सर्वोच्च उदाहरण है।
अमृता देवी के सम्मान में भारत सरकार प्रतिवर्ष अमृता देवी बिश्नोई वन्य जीवन संरक्षण पुरस्कार, पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने वाले व्यक्ति या संस्था को प्रदान करती है।
ठीक इसी प्रकार 80 के दशक में हिमालय के उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल क्षेत्र के लोगों ने सरकार के वृक्षों को काटने का पेड़ों से चिपक कर विरोध जताया था। इस आंदोलन का नेतृत्व सुंदरलाल बहुगुणा तथा चंडी प्रसाद भट्ट ने किया था।
दक्षिण भारत में कर्नाटक में भी सन् 1983 में इसी तरह का आंदोलन, अप्पिको आंदोलन वृक्षों के संरक्षण हेतु चलाया गया।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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Explanation:
भारत में वन संरक्षण का एक लम्बा इतिहास है। जोधपुर (राजस्थान) के राजा ने 1731 ई० में अपने महल के निर्माण के लिए वृक्षों को काटने का आदेश दिया था। जिस वन क्षेत्र के वृक्षों को काटना था उसके आस-पास कुछ बिश्नोई परिवार रहते थे। इस परिवार की अमृता नामक महिला ने राजा के आदेश का विरोध किया एवं वृक्ष से चिपककर खड़ी हो गई। उसका कहना था कि वृक्ष हमारी जान है। उसके बिना हमारा जिंदा रहना असम्भव है। इसे काटने के लिए पहले आपको हमें काटना होगा। राजा के लोगों ने पेड़ के साथ-साथ महिला एवं उसके बाद उसकी तीन बेटियों तथा बिश्नोई परिवार के सैकड़ों लोगों को वृक्ष के साथ कटवा दिया। भारत सरकार ने इस साहसी महिला, जिसने पर्यावरण की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बलि दे दी, के सम्मान में अमृता देवी बिश्नोई वन्यजीव संरक्षण पुरस्कार देना हाल में शुरू किया है !