वन संरक्षण हमारा दायित्व
hindi essay
Answers
Answer:
- प्रस्तावना
- वृक्षारोपण उपासना
- वनो से होने वाले प्रत्यक्ष लाभ
- अप्रत्यक्ष लाभ वनो से होने वाल
- वनों के कटाव से हानि
1. प्रस्तावना – वन हमारी सभ्यता व संस्कृति के प्रतीक है। वन महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। प्रारंभ में ऐसा अनुमान है कि पृथ्वी के एक चौथाई भाग पर वन थे। परंतु अब लकडी, ईधन, आवास के लिए वनों की कटाई कर दी गई परिणाम स्वरूप अब पृथ्वी के 15 प्रतिशत् भाग पर ही वन पाए जाते है।
2. वृक्षारोपण उपासना – वन और संस्कृति का अटूक संबंध है। भारत में वंनों को भगवान के समान पूजा जाता है। इनमें से तुलसी, बरगद, एवं पीपल की पूजा की जाती है। अश्व वृक्ष के तो ईष्ट में ही विष्णु मध्य में शिव पश्य में ब्रम्हा का निवास होता है। ऐसी मान्यताऍ भारत में वृक्षो को लेकर है।
3. वनो से होने वाले प्रत्यक्ष लाभ – वनो से हमें कई प्रकार की लकडी प्राप्त होती है जैसे सागौन, अलसी, चीड एवं देवदार जो फर्नीचर बनाने के काम आती है। वनो के कारण वर्षा होती है जिससे मानव जीवन चलता है। वन सरकार के राजस्व का एक भाग है। डॉ पीएच चटखल के शब्दो में ‘’ वन राष्टीय सम्पत्ति है” सभ्यता के लिए वनो की निरान्त आवश्यकता है।
4. अप्रत्यक्ष लाभ वनो से होने वाले – वन मानव जाति एवं अन्य जीवों को जीवन प्रदान करते हैं। वन हमारे सच्चे दोस्त है एसे हमारे दोस्त मुशिबत में हमारी रक्षा करते है वैसे ही वन भी हमें कई बडे खतरो से बचाता है। वनो से प्राप्त जो ऑक्सिजन हम लेते है उससे ही हमारे शरीर में सांसे चलती है।
वनों के कटाव से हानि
वन कटाई की समस्या किसी केवल एक जीव की समस्या नहीं है अपितु सम्पूर्ण जीव एवं मानव जगत की समस्या है। यदि इस समस्या से निपटने के लिए कुछ नहीं किया गया तो पूरा मानव जीवन समाप्त हो जायगा। जंगल की कटाई करके बडी बडी इमारते बनाई जा रही है लगभग आधे जंगलों को नष्ट कर दिया गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, स्वस्थ वातावरण (पर्यावरण) के लिए 33 प्रतिशत भूमि पर वन होने चाहिए।
Answer:
वनों की लगातार कटाई से मृदा अपवर्दन, अतिवृष्टि अनावृष्टि जैसी समस्याऍं मानव के समक्ष आ खडी हुई है। अत: वनों का संरक्षण अतिआवश्यक है। वन प्राकृतिक वनस्पति के जन्म स्थल है। इन्हे बचाना हमारा कर्तव्य है।
Explanation:
रूपरेखा
1. प्रस्तावना
2. वृक्षारोपण उपासनावनो
3. वनों से होने वाले प्रत्यक्ष लाभ
4. अप्रत्यक्ष लाभ वनो से होने वाले
5. वनों के कटाव से हानि
6. वृक्षारोपण के सरकारी प्रयास
“वृक्ष है तो पर्यावरण है और पर्यावरण से ही हम सब है”
1. प्रस्तावना – वन हमारी सभ्यता व संस्कृति के प्रतीक है। वन महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। प्रारंभ में ऐसा अनुमान है कि पृथ्वी के एक चौथाई भाग पर वन थे। परंतु अब लकडी, ईधन, आवास के लिए वनों की कटाई कर दी गई परिणाम स्वरूप अब पृथ्वी के 15 प्रतिशत् भाग पर ही वन पाए जाते है। वनों की लगातार कटाई से मृदा अपवर्दन, अतिवृष्टि अनावृष्टि जैसी समस्याऍं मानव के समक्ष आ खडी हुई है। अत: वनों का संरक्षण अतिआवश्यक है। वन प्राकृतिक वनस्पति के जन्म स्थल है। इन्हे बचाना हमारा कर्तव्य है।
2. वृक्षारोपण उपासना – वन और संस्कृति का अटूक संबंध है। भारत में वंनों को भगवान के समान पूजा जाता है। इनमें से तुलसी, बरगद, एवं पीपल की पूजा की जाती है। अश्व वृक्ष के तो ईष्ट में ही विष्णु मध्य में शिव पश्य में ब्रम्हा का निवास होता है। ऐसी मान्यताऍ भारत में वृक्षो को लेकर है।
3. वनो से होने वाले प्रत्यक्ष लाभ – वनो से हमें कई प्रकार की लकडी प्राप्त होती है जैसे सागौन, अलसी, चीड एवं देवदार जो फर्नीचर बनाने के काम आती है। वनो के कारण वर्षा होती है जिससे मानव जीवन चलता है। वन सरकार के राजस्व का एक भाग है। डॉ पीएच चटखल के शब्दो में ‘’ वन राष्टीय सम्पत्ति है” सभ्यता के लिए वनो की निरान्त आवश्यकता है। ये केवल लकडी ही प्रदान नही करते बल्कि अनेके प्रकार के फल, पशुओ के लिए चारा आदि भी प्रदान करते है।
4. अप्रत्यक्ष लाभ वनो से होने वाले – वन मानव जाति एवं अन्य जीवों को जीवन प्रदान करते हैं। वन हमारे सच्चे दोस्त है एसे हमारे दोस्त मुशिबत में हमारी रक्षा करते है वैसे ही वन भी हमें कई बडे खतरो से बचाता है। वनो से प्राप्त जो ऑक्सिजन हम लेते है उससे ही हमारे शरीर में सांसे चलती है।
वन अप्रत्यक्ष रूप से हमें लाभ पहुचाते है जैसे मृदा अपर्दन को वृक्ष रोकते है, वर्षा होने का करण भी वन ही है वन बादल को अपनी ओर खिंचते है जिसके कारण वर्षा होती है, वनो के कारण हमारे वातावरण में कार्बनडाई ऑक्सिाईड की मात्रा भी बहुत कम रहती है। यह गैस हमारे शरीर के लिए हानिकारक होती है।
5. वनों के कटाव से हानि
वन कटाई की समस्या किसी केवल एक जीव की समस्या नहीं है अपितु सम्पूर्ण जीव एवं मानव जगत की समस्या है। यदि इस समस्या से निपटने के लिए कुछ नहीं किया गया तो पूरा मानव जीवन समाप्त हो जायगा। जंगल की कटाई करके बडी बडी इमारते बनाई जा रही है लगभग आधे जंगलों को नष्ट कर दिया गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, स्वस्थ वातावरण (पर्यावरण) के लिए 33 प्रतिशत भूमि पर वन होने चाहिए। इससे पर्यावरण का संतुलन बना रहता है। आने वाले समय में यह संख्या बढ़ने की संभावना है क्योंकि उद्योगपति लगातार निजी लाभ के लिए वन भूमि का उपयोग कर रहे हैं।
लकड़ी और वृक्षों की अन्य घटकों से विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन के लिए बड़ी संख्या में जंगलो को भी काटा जाता है। जंगलों की कटाई के कारण पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन्हीं कारणों से मिट्टी का क्षरण, जल चक्र का विघटन, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता, वातावरण प्रदुशण होता है। हम वनों/जंगलों को काट कर अपना ही नहीं अपनी आने वाली पीढ़ियों का जीवन भी खतरे में डाल रहे हैं। बढ़ती हुई जनसंख्या की पूर्ति के लिए कृषि हेतु अधिक भूमि उपलब्ध कराने के लिए वनों/जंगलों की कटाई जाना बहुत ही साधारण बात है। वनों/जंगलों को इस प्रकार नष्ट करने से कृषि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
6. वृक्षारोपण के सरकारी प्रयास
-सरकार द्वारा वृक्षारोपण करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं वृक्षारोपण संबंधी अनुदान सहायता राशि योजना भी सरकार द्वारा चलाई गई हमारा पर्यावरण प्रदूषण से बजा रहे इसके लिए सरकार द्वारा वृक्षारोपण की कई योजनाएं चलाई गई है जिसके अंतर्गत मुफ्त में पक्षियों को बांटा गया है एवं इन्हें लगाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया गया है.
सरकार द्वारा स्कूलों में बच्चों को एक-एक वृक्ष लगाने के निर्देश दिए गए जिससे हमारी प्रकृति का वातावरण कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त हो सके एवं स्वच्छ हवा में आम व्यक्ति हर सांस ले सकें