वर्णनात्मक और आख्यानपरक लेखन पर प्रकाश डालिए?
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वर्णनात्मक लेखन में किसी व्यक्ति के रूप और आदतें, पसंद, नापसंद का वर्णन किया जाता है.
किसी स्थान दृश्य या वस्तु का वर्णन किया जाता है.
किसी प्रकार के भोजन बनाने की विधि.
फैशन के बारे में वर्णन किया जाता है.
आने वाली बातों के बारे में फ्यूचर के बारे में वर्णन जाता है.
आख्यानपरक में कहानी की कल्पना की जाती है गैर-वास्तविकता वास्तविक घटनाओं पर आधारित होती है और कथा लेखन भी हो सकती है। आख्यानपरक में चरित्रों के बारे में वर्णन किया जाता है.
जैसे हमारी हिस्ट्री,वस्तु घटना के विषय में.
वर्णनात्मक लेखन
वर्णनात्मक लेखन में हम किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु या दृश्य का वर्णन कर सकते हैं | ऐसे मंस हम उस व्यक्ति, स्थान या वस्तु के बाहरी पक्ष को देखते हैं और उसके बारे में बताते हैं | किसी व्यक्ति के वर्णन में उसका बाहरी रंग रूप एवं कद उसकी उम्र इत्यादि के साथ-साथ आंतरिक रुप चाल ढाल पसंद नापसंद आदतें आदि का वर्णन भी किया जाता है | इसी प्रकार किसी स्थान के वर्णन में हम उसके वातावरण का माहौल का वर्णन कर सकते हैं | किसी मित्र का परिचय देते हुए उसकी विशेषताओं के साथ साथ उसकी कार्यप्रणाली को भी बताना जरूरी होता है।
आख्यानपरक लेखन
आख्यानपरक लेखन में व्यक्तिपरकता के साथ-साथ वस्तु वस्तुनिष्ठता भी झलकती है | आख्यानपरक लेखन में भावों और विचारों को लेखक चरित्रों के माध्यम से व्यक्त करता है और बीच-बीच में सीधे सीधे अपनी बातें कहने लगता है। आख्यानपरक लेखन में चरित्रों के विकास और स्थितियों का वर्णन करते समय लेखक सच्चाई को दिखाता चलता है यह सचाई उस घटना विशेष या व्यक्ति विशेष की भी हो सकती है और पूरे समाज की भी इस तरह आख्यान में व्यक्ति और घटनाओं के साथ सामाजिक सत्य का भी उद्घाटन होता है।