वर्षा जल है जीवन धारा पर एक निबंध 110 Points
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To isusushehhwwuwiuw
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यह तो सर्व विदित है ‘जल ही जीवन है’, जल तेज है।
जल एक दिव्य औषधि है तथा जीवन भी, लेकिन इसके दिव्य औषधि का लाभ उठाने के लिए
अपनी दिनचर्या में दिनचर्या के आदि से अन्त तक जल (Water) का प्रयोग कैसे करें यह जानना होगा।
तब ही जल एक दिव्य औषधि के रूप में हमें प्राप्त हो सकता है।
आइये अब चलते हैं उषाकाल की ओर और जानें कैसे किया जाय जल (Water) का प्रयोग:-
प्रातः काल में जल का प्रयोग (Water Benefits in Morning)
सूर्योदय के प्रथम ही, नभ में लालिमा होय।
आठ घूंट इक श्वाँस में, बासी जल पिय जोय।।
कहते उषा पान यह, नाशे उदर विकार।
नेत्र ज्योति बुद्धि बढ़े, देवे कब्ज निकार।।
सुबह बिस्तर पर चाय (Bed Tea) न लेकर हमें चाहिए बिस्तर से उठते ही जब आकाश में लालीमा सूर्योदय के समय आ रही हो उसी वक्त एक ही श्वाँस में आठ घूँट बासी जल
तथा जाड़े के दिन में ताजा जल पियें, इसे ही ‘उषापान’ आयुर्वेद की भाषा में कहा जाता है।
इस उषापान से उदर-विकार का नाश होता है, बुद्धि का विकास और नेत्र-ज्योति का विकास होता है
तथा कब्ज का नाश होता है, जो सभी रोगों की जड़ है।
अब आता है दिनचर्या का दूसरा पड़ाव –
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