वर्षा जल का संग्रहण किस प्रकार होता है
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वर्षा जल संग्रहण
भूमि जल को बढ़ाने की यह एक तकनीक है, जिसमे रिसाव छिद्र तथा डेमो जैसी संरचनाओं के निर्माण द्वारा वर्षा जल को संग्रहीत किया जाता है।
जल संग्रहण की विभिन्न तकनिक :
1. पर्वतीय क्षेत्रों के लोग कृषि के लिए ‘गुल’ तथा ‘कुल’ जैसी वाहिकाएँ बनाते है।
2. पश्चिमी भारत, विशेषकर राजस्थान में पीने का जल एकित्रात करने के लिए 'छत वर्षा जल संग्रहण' का तरीका अपनाते है।
3. पश्चिम बंगाल में बाढ़ के मैदान में लोग अपने खेतों की सिंचार्इ के लिए बाढ़ जल वाहिकाएँ बनाते थे।
4. शुष्क और अर्धशुष्क क्षेत्रों में खेतों में वर्षा जल एकित्रात करने के लिए गड्ढे बना जाते थे ताकि मृदा को सिंचित किया जा सके और संरक्षित जल को खेती के लिए उपयोग में लाया जा सकें। राजस्थान के जिले जैसलमेर में ‘खादीन’ और अन्य क्षेत्रों में ‘जोहड’ इसके उदाहरण है।
टैंक द्वारा वर्षा जल सग्रंह तंत्रा :
1. राजस्थान के अर्ध-शुष्क और शुष्क क्षेत्रों विशेषकर बीकानेर, फलोदी और बाड़मेर में लगभग हर घर में पीने का पानी संग्रहित करने के लिए भूमिगत टेैंक हुआ करते थे।
2. टैंक यहाँ सुविकसित छत वर्षा जल संग्रहण तंत्रा का अभिन्न हिस्सा होता है। जिसे मुख्य घर या आँगन में बनाया जाता था।
3. वे घरों की ढलवाँ छतों से पाइप द्वारा जुड़े हुए थे। छत से वर्षा का पानी इन नलों से होकर भूमिगत टैंक तक पहुँचता था यहाँ इसे एकित्रात किया जाता था।
4. वर्षा का पहला जल छतों और नलों को साफ करने में प्रयोग होता था और उसे संग्रहित नही किया जाता था।
5. इसके बाद होने वाली वर्षा का जल संग्रह किया जाता था।
भूमि जल को बढ़ाने की यह एक तकनीक है, जिसमे रिसाव छिद्र तथा डेमो जैसी संरचनाओं के निर्माण द्वारा वर्षा जल को संग्रहीत किया जाता है।
जल संग्रहण की विभिन्न तकनिक :
1. पर्वतीय क्षेत्रों के लोग कृषि के लिए ‘गुल’ तथा ‘कुल’ जैसी वाहिकाएँ बनाते है।
2. पश्चिमी भारत, विशेषकर राजस्थान में पीने का जल एकित्रात करने के लिए 'छत वर्षा जल संग्रहण' का तरीका अपनाते है।
3. पश्चिम बंगाल में बाढ़ के मैदान में लोग अपने खेतों की सिंचार्इ के लिए बाढ़ जल वाहिकाएँ बनाते थे।
4. शुष्क और अर्धशुष्क क्षेत्रों में खेतों में वर्षा जल एकित्रात करने के लिए गड्ढे बना जाते थे ताकि मृदा को सिंचित किया जा सके और संरक्षित जल को खेती के लिए उपयोग में लाया जा सकें। राजस्थान के जिले जैसलमेर में ‘खादीन’ और अन्य क्षेत्रों में ‘जोहड’ इसके उदाहरण है।
टैंक द्वारा वर्षा जल सग्रंह तंत्रा :
1. राजस्थान के अर्ध-शुष्क और शुष्क क्षेत्रों विशेषकर बीकानेर, फलोदी और बाड़मेर में लगभग हर घर में पीने का पानी संग्रहित करने के लिए भूमिगत टेैंक हुआ करते थे।
2. टैंक यहाँ सुविकसित छत वर्षा जल संग्रहण तंत्रा का अभिन्न हिस्सा होता है। जिसे मुख्य घर या आँगन में बनाया जाता था।
3. वे घरों की ढलवाँ छतों से पाइप द्वारा जुड़े हुए थे। छत से वर्षा का पानी इन नलों से होकर भूमिगत टैंक तक पहुँचता था यहाँ इसे एकित्रात किया जाता था।
4. वर्षा का पहला जल छतों और नलों को साफ करने में प्रयोग होता था और उसे संग्रहित नही किया जाता था।
5. इसके बाद होने वाली वर्षा का जल संग्रह किया जाता था।
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