Hindi, asked by StarTbia, 1 year ago

वरिष्ट नागरिकों (वयोवृद्धों) के प्रति आदर-सम्मान की भावना से जुढ़ी कोई कहानी ढूँढकर लाईए कक्षा में प्रस्तुत कीजिए|
Hindi Class X SCERT Telangana Ch 2

Answers

Answered by anu522
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बड़ों के प्रति आदर सम्मान संबंधी कहानी





रामायण के अनुसार राजा दशरथ की रानी कैकयी ने अपनी दासी मंथरा के बहकावे में आकर राजा से दो वरदान मांगे। पहला भरत को राज्य और दूसरा राम को वनवास। न चाहते हुए भी दशरथ ने राम को वनवास भेज दिया। राम के साथ सीता व लक्ष्मण भी वन में चले गए। राम को वनवास जाता देख अयोध्यावासी उनके पीछे-पीछे तमसा नदी तक आ गए। यहां श्रीराम ने विश्राम किया और रात में जब अयोध्यावासी सो रहे थे, वहां से चले गए। निषादराज गुह ने श्रीराम, सीता व लक्ष्मण को गंगा पार पहुंचाया।

श्रीराम, सीता व लक्ष्मण जिस भी गांव या नगर से निकलते, वहां के लोग उनकी एक झलक पाने के लिए लालायित हो जाते थे और उनका खूब आदर-सत्कार करते। चलते समय सीता इस बात का ध्यान रखती कि गलती से भी श्रीराम के पदचिह्नों पर उनका पैर न रखा जाए। इसलिए वे श्रीराम के दोनों पदचिह्नों के बीच में चलती थीं। लक्ष्मण भी यह देखते हुए चलते कि श्रीराम व सीता दोनों ही के पैरों के निशान पर उनका पैर न पड़े। श्रीराम, सीता व लक्ष्मण जिस भी गांव या नगर से गुजरते, वहां के वासी भक्तिभाव से उनका पूजन करते।

प्रभु पद रेख बीच बिच सीता। धरति चरन मग चलति सभीता।।
सीय राम पद अंक बराएं। लखन चलहिं मगु दाहिने लाएं।।


अर्थात- श्रीराम के चरण चिह्नों के बीच-बीच में पैर रखती हुई सीताजी मार्ग में चल रही हैं और लक्ष्मण सीता व श्रीराम दोनों के चरण चिह्नों को बचाते हुए (मर्यादा की रक्षा के लिए) उन्हें दाहिनेे रखकर रास्ता चल रहे हैं।


यात्रा करते हुए श्रीराम ऋषि वाल्मीकि के आश्रम आ गए। ऋषि ने श्रीराम का सम्मान किया और आशीर्वाद भी दिया। श्रीराम के पूछने पर वाल्मीकि ने उन्हें चित्रकूट पर्वत पर निवास करने की सलाह दी। मुनि के कहने पर श्रीराम ने चित्रकूट में अपनी कुटिया बनाई और सुखपूर्वक रहने लगे।

सीख: 1. पारिवारिक जीवन में मर्यादा का होना बहुत आवश्यक है।

2.छोटे जब बड़ों का आदर करते हैं तभी परिवार आदर्श बन पाता है।



hope helped..
Answered by KomalaLakshmi
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प्रस्तुत प्रश्न ईदगाह पाठ से लिया गया है |इसका लेखक प्रेमचंद जी है |कहानी के माद्यम से हमें पाठ का परिचय दियागया |सन १८८०,जुलाई ३ मेकाशी में एक गरीब घराने आपका जन्म हुआ |इनके बचपन का नाम धनपत राय श्रीवास्तव था |नौकरी करते हुए इन्होने बी. ए. पास किया |इन्हें “उपन्यास सम्राट” भी कहा जाता है |इनकी कहानिया मानसरोवर शीर्षक से  आठ खंडो में संकलित है |गोदान ,सेवासदन ,निर्मला आदि इनके प्रमुख उपन्यास है |बढे घरकी बेटी ,कफन आदि प्रमुख है |

         हामिद ने  ईदगाह के मेले में लोहों के दुकान में चिमटा  देखा |हामिद की दादी के पास चिमटा नहीं था |इसलिए तवे से रोटी निकालते वक्त दादी के जल जाते थे |वह हामिद से देखा न जाता था |अगर हामिद चिमटा लेकर दादी को देगा तो ओ प्रसन्न हो जायेगी ओर उनकी उंगिलिया कभी नहीं जलेगी |इसलिए हामिद चिमटा खरीदना चाहता है |

       हामिद के ह्रदयस्पर्शी विचारोंके प्रति दादी अम्मा की भावनाए उदार थी |पहले ओ हामिद पर बहोत गुस्सा करती है पर उसे देखते ही गुस्सा फुर हो जाती है |वह सोचने लगती है की लड़के में कितना त्याग,सद्भाव,और कितना विवेक है |अपने मित्र खिलोने, मिठाई लेते देखकर उसका मन कितना ललचाया होगा |तब भी उसको उपने से ज्यादा उपनी बूढी दादी की याद आई |हामिद को दुआए देती रही |

बालक प्रायः अलग-अलग  स्वाभाव के होते है |इस कहानी के अधर पर बताया सकता है की हामिद का स्वाभाव दुसरे बालकों से भिन्न है |वह एक कोमल स्वाभाव का बालक है |वह गरीब ओर निडर है |मगर निराशावादी नहीं है|वह दुसुरों के दुःख दर्द समझता है |वह एक निस्वार्थी,त्यागी, विवेकशील,और स्वाभिमान बच्चा  है |उसके मन में अपनी दादी के प्रति बहित प्रेम है |


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