वर्तमान में घटता जल स्तर पर अनुछेद लिखिए व जल संरक्षण के कुछ उपाय लिखिए। (100-120 words )
Any Hindi expert please answer :)
Anonymous:
huuh..! after how many days??
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Jal, yeh ek aisa padarth hai jo ki jeevan k liye vayu k samaan hi avashyak hai. Jis prakar din prati din jal ka istar ghtataa ja rha h ek din yah samapt ho jaega. manushyon ki laparwahi k karan aaj jal ka istar itna neeche h. yeh ek chinta ka vishay hai kyunki yadi agar jal nhi rha to dharti pr se jeevan khatam ho jaega.
yadi jal nhi rhega to hme khane ko bi kuch nhi milega kyunki kisaano ko bhi khet ki sichai k liye jal ki hi avashyakta hoti h. jis prakar dharti pr aabadi bdhti ja rhi h, utni hi teji se pedo ko kata ja rha h. manushya yah nhi smjhta ki vriksho k karan hi hme sudh hawa milti aur inhi k karan barish hoti h jo pani k istar ko bnaeye rkhti h.
jal sanrakshan k liye sbhi logo ko ek saath apna daitva smjhana hoga. jroort k hisaab se pani ka istemal krna hoga. vyarth pani nhi jaya krna hoga. hme varsha k pani ko ikattha krna chahiye jisse hm bhut se karyo me istemaal kr skte h. yadi logo ne pani k mahtva ko nhi smjha to wo din dur nhi jb sb log ek-ek boond pani k liye tarsenge.
yadi jal nhi rhega to hme khane ko bi kuch nhi milega kyunki kisaano ko bhi khet ki sichai k liye jal ki hi avashyakta hoti h. jis prakar dharti pr aabadi bdhti ja rhi h, utni hi teji se pedo ko kata ja rha h. manushya yah nhi smjhta ki vriksho k karan hi hme sudh hawa milti aur inhi k karan barish hoti h jo pani k istar ko bnaeye rkhti h.
jal sanrakshan k liye sbhi logo ko ek saath apna daitva smjhana hoga. jroort k hisaab se pani ka istemal krna hoga. vyarth pani nhi jaya krna hoga. hme varsha k pani ko ikattha krna chahiye jisse hm bhut se karyo me istemaal kr skte h. yadi logo ne pani k mahtva ko nhi smjha to wo din dur nhi jb sb log ek-ek boond pani k liye tarsenge.
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विविकास की अपनी चिंताएं होती हैं. सिंचाई, पीने के पानी और दूसरी जरूरतों के लिए जरूरत से ज्यादा दोहन के चलते धरती का जलस्तर लगातार घट रहा है. इसने न सिर्फ भूवैज्ञानिकों की बल्कि राजनीतिज्ञों की चिंता भी बढ़ा दी है. Staudamm Fluß Teesta Indienअभी पिछले दिनों हैदराबाद और तेलांगना प्रांत के दूसरे इलाकों में पानी की भारी कमी और जलस्तर के नीचे जाने की खबर आई है. जल संसाधन पर संसद की स्थायी समिति ने भी हाल में इस मुद्दे पर गहरी चिंता जताई है. उसने केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय से इस मुद्दे का अध्ययन कर छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर हालत में सुधार नहीं हुआ तो दस साल के भीतर पूरे बंगलूर शहर को कहीं और बसाना होगा.बढ़ता संकटसंसदीय समिति ने कहा है कि देश के 16 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों में हालात तेजी से गंभीर हो रहे हैं. उसने चेताया है कि जरूरत से ज्यादा दोहन के चलते देश के विभिन्न राज्यों में जल्दी ही पानी का गहरा संकट पैदा हो जाएगा. इससे पानी की क्वालिटी भी खराब होगी. केंद्र सरकार के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, सिंचाई के लिए सबसे ज्यादा 91 फीसदी भूमिगत जल का दोहन किया जाता है. बाकी का इस्तेमाल घरेलू और औद्योगिक जरूरतों को पूरा करने के लिए होता है. समिति ने कहा है कि जल का सबसे ज्यादा दोहन पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में किया जाता है. पंजाब में तो भूमिगत जल का 98 फीसदी सिंचाई में इस्तेमाल होता है जबकि हरियाणा और राजस्थान के मामले में यह आंकड़ा क्रमशः 94.5 और 88.4 फीसदी है. समिति ने भूमिगत जल में बढ़ते प्रदूषण पर भी चिंता जताई है. बिहार, छत्तीसगढ़, ओडीशा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, पंजाब, असम व त्रिपुरा में यह प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है.
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