Hindi, asked by Nitya7912, 1 month ago


“वर्तमान में सिनेमा का महत्त्व' विषय पर एक निबंध लिखिए।
Please answer me.​

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Answered by jha37731
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Answer:

धीरे-धीरे वैज्ञानिक प्रगति के साथ-साथ नाटक प्रदर्शन के क्षेत्र में भी मानव ने काफी उन्नति की । नाटक का विकसित रूप ही चलचित्र है । हमारे यहाँ कठपुतली का नृत्य व प्रदर्शन भी चलचित्र का आदि रूप है । प्रारम्भ में चित्र व प्रकाश का ही प्रदर्शन था ।

उसके बाद यह आवाज चित्रपट, सवाक व रंगीन फिल्मों के रूप में विकसित हो गया । आज चलचित्र व सिनेमा मानव जीवन के लिए मनोरंजन का एक महत्वपूर्ण व सस्ता एवं सरल साधन बन चुका है ।

चलचित्रों का विकास:

चलचित्रों का प्रारम्भिक आविष्कार अमेरिका में हुआ । सर्वप्रथम वाशिंगटन निवासी टामस आर्नाट ने सन् 1859 में समतल दीवार पर प्रकाश की रश्मियों से छायाचित्र प्रस्तुत करने का नूतन आविष्कार किया । धीरे-धीरे इसमें परिष्कार होता गया । सन् 1890 में अमेरिकी वैज्ञानिक टामस एल्वा एडिसन ने प्रथम सिनेमा यंत्र का आविष्कार किया ।

परिष्कृत यत्रों से युक्त आधुनिक सिनेमा दिखाने की मशीन सन् 1905 में इग्लैण्ड में तैयार हुई । जन साधारण के सम्मुख सिनेमा पहली बार लन्दन में सुमैर के द्वारा उपस्थित किया गया । प्रारम्भ में पर्दे पर केवल चित्रो का प्रदर्शन किया जाता था ।

धीरे-धीरे चित्रो द्वारा हाव-भाव प्रदर्शित होने लगे । फिर चित्रपट पर अवाक फिल्मसे कथा के रूप में दिखायी जाने लगी । फिल्म में ध्वनि, चित्र व प्रकाश के संगम से यह मनोरंजन का सशक्त साधन बन गया

है ।

चलचित्र मनोरंजन का साधन:

चलचित्र आधुनिक मनोरंजन का सर्वाधिक आकर्षक सा धन बन चुका है । सामान्य जन से उच्च वर्ग तक के लोग सिनेमा देखकर अपना भरपूर मनोरंजन करते हैं । अपने दैनिक कार्यो में व्यस्त रहने के पश्चात्र जब कभी वे फिल्म देखने जाते हैं तो उनकी सारी थकान मिट जाती है । चलचित्र मित्रो, सहयोगियों व सम्बन्धियों के साथ जाकर देखने में अधिक आनन्द आता है ।

जब कभी कोई अपने मित्र के पास जाता है, तो उसको सिनेमा दिखाकर उसका सम्मान व मनोरंजन किया जाता है । नौकरी पैशे वाले लोग या अन्य परिश्रम पूर्ण कार्य करने वाले लोग सिनेमा देखकर अपनी थकान मिटाते हैं और मनोरंजन करते हैं क्योंकि यह मनोरंजन का एक सस्ता व सर्व-सुलभ साधन बन चुका है ।

ज्ञान वृद्धि का साधन:

चलचित्र एक ओर मनोरंजन का सा धन व सामाजिक बुराइयों को दूर करने में सहायक है, दूसरी ओर मानव के लिए ज्ञान वृद्धि का साधन भी है । दर्शक एक सिनेमा हल में इतिहास, भूगोल व विज्ञान सम्बन्धी ज्ञान का सरलता से साक्षात्कार कर लेता है ।

वह उन स्थलों व दृश्यों का भली-भाँति अवलोकन कर लेता है जिनका उसने पुस्तकों में केवल अध्ययन किया था । वास्तव में यह क्रियात्मक ज्ञान का व्यवहारिक सा धन है । इसमें मानव ऐसे-ऐसे विकट स्वलों का भी सिंहावलोकन कर लेता है, जहाँ वह कभी जा नही सकता है ।

Explanation:

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