History, asked by annika5936, 8 months ago

वर्तमान समय में अशोक के धम्म की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।

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Answered by rajat2269
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Answer:

गौतम बुद्ध महिला महाविद्यालय के इतिहास विभाग के तत्वावधान में वर्तमान परिपेक्ष्य में अशोक के धम्म की प्रासंगिकता पर बुधवार को सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार की अध्यक्षता कालेज के प्राचार्य डा.सत्येंद्र प्रजापति ने की। समारोह की मुख्य अतिथि पूर्व प्राचार्या शांति सिंह ने दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन किया। उन्होंने अशोक के धम्म पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि अशोक ने सभी धर्मो के आचार मूलक धर्मो को अपने धम्म में समाहित किया। इसलिए अशोक का धम्म आज के परिवेश के लिए प्रासंगिक है। इतिहास प्रतिष्ठा की छात्रा पल्लवी एवं जान्वी ने भी इस विषय पर अपने विचार व्यक्त की। अध्यक्षीय भाषण श्री प्रजापति ने कहा कि अशोक धम्म उस वृक्ष के समान थे। जिसमें सभी धर्मो के सिद्धांत समाहित है। मंच का संचालन करते हुए डा.सुधा प्रसाद ने कहा कि कलिंग युद्ध की समाप्ति अशोक के जीवन परिवर्तन का युग है। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डा.सुधा प्रसाद ने कहा कि अशोक ने सिर्फ बौद्ध धर्म को ही नहीं बल्कि राजनैतिक और वैचारिकता भी अपनाया।

कार्यक्रम में महाविद्यालय के शिक्षक डा.नलिनी राठौर, डा.आशा सिंह, डा.नूतन कुमारी, डा.माया सिंह, डा.कुसुम कुमारी, डा. उषा राय, डा.किश्वर जहां, डा.किरण बाला, डा.सहदेव बाउरी, डा.शमीम उद्दीन, डा.सोहैल अख्तर के अतिरिक्त कर्मचारी अरूण कुमार सिन्हा, कांति कुमारी, सुषमा सिन्हा, नूजहत जहां, अंजूम आरा, सुनील, अजय, सुरेंद्र, नीरज, गजाला आदि शामिल थे।

Answered by saurabhgraveiens
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धर्म समाज में व्यवहार और कार्यकलाप के सामान्य मानदंडों से संबंधित है।  

Explanation:

धम्म, मौर्य सम्राट अशोक द्वारा गठित आदेशों का एक समूह है।

लोगों को शांति और सद्भाव में रहना चाहिए।  सभी को अहिंसा के सिद्धांत का पालन करना चाहिए, अर्थात् सभी जीवों के लिए अहिंसा और गैर-चोट।  लोगों को एक दूसरे से प्यार करना चाहिए और अन्य धार्मिक विश्वासों के प्रति सम्मान और सहिष्णुता प्रदर्शित करनी चाहिए। धर्म का उद्देश्य समाज में व्याप्त कुछ समस्याओं और तनावों को हल करने का एक ईमानदार प्रयास था।

 

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