वरमेको गुणी पुत्रो न च मूर्खशतैरपि।।
एकश्चन्द्रस्तमो हन्ति न च तारागणैरपि।।१।।
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वरमेको गुणी पुत्रो न च मूर्खशतान्यपि ।
एकश्चन्द्रस्तमो हन्ति न च तारगणोऽपिच ॥
अर्थ :- इन पंक्तियों का अर्थ है कि यदि एक श्रेष्ठ और गुणवान पुत्र (संतान) , सैकड़ों मुर्ख पुत्रो की अपेक्षा अधिक उत्तम है | जैसे एक चन्द्रमा का प्रकाश सम्पूर्ण आकाश को प्रकाशित करता है जिसे हजारों तारें भी नहीं कर पाते वैसे ही किसी परिवार को मान-सम्मान और प्रसिद्धि एक श्रेष्ठ और गुणवान संतान से मिलेगी उतना कभी भी सैकड़ों मुर्ख संतानो से नहीं मिलेगी
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