Hindi, asked by kappalanaidukandula, 6 months ago

varsh ke pani ka bachav kaise kar sakta hai​

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Answered by giriaishik123
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वर्षाजल संरक्षण

पानी की समस्या आज भारत के कई हिस्सों में विकराल रूप धारण कर चुकी है। इस समस्या से जूझने के कई प्रस्ताव भी सामने आएं हैं और उनमें से एक है नदियों को जोडना। लेकिन यह काम बहुत मंहगा और वृहद स्तर का है, साथ ही पर्यावरण की दृष्टि से काफी खतरनाक साबित हो सकता है, जिसके विरूद्ध काफी प्रतिक्रियाएं भी हुई हैं। कहावत है बूंद-बूंद से सागर भरता है, यदि इस कहावत को अक्षरश सत्य माना जाये तो छोटे छोटे प्रयास एक दिन काफी बडे समाधान में परिवर्तित हो सकते हैं। इसी तरह से पानी को बचाने के कुछ प्रयासों में एक उत्तम व नायाब तरीका है आकाश से बारिश के रूप में गिरे हुए पानी को बर्बाद होने से बचाना और उसका संरक्षण करना। शायद जमीनी नदियों को जोडने की अपेक्षा आकाश में बह रही गंगा को जोडना ज्यादा आसान है।

तमिलनाडुः एक मिसाल

यदि पानी का संरक्षण एक दिन शहरी नागरिकों के लिए अहम मुद्दा बनता है तो निश्चित ही इसमें तमिलनाडु का नाम सबसे आगे होगा। लम्बे समय से तमिलनाडु में ठेकेदारों और भवन निर्माताओं के लिए नये मकानों की छत पर वर्षा के जल संरक्षण के लिए इंतजाम करना आवश्यक है। पर पिछले कुछ सालों से गंभीर सूखे से जूझने के बाद तमिलनाडु सरकार इस मामले में और भी प्रयत्नशील हो गई है और उसने एक आदेश जारी किया है जिसके तहत तीन महीनों के अन्दर सारे शहरी मकानों और भवनों की छतों पर वर्षा जल संरक्षण संयत्रों (वर्षाजल संरक्षण) का लगाना अनिवार्य हो गया है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये थी कि सारे सरकारी भवनों को इसका पालन करना पडा। पूरे राज्य में इस बात को व्यापक रूप से प्रचारित किया गया। नौकरशाहों को वर्षा जल संरक्षण संयंत्रो को प्राथमिकता बनाने के लिए कहा गया। यह चेतावनी भी दी गयी कि यदि नियत तिथि तक इस आदेश का पालन नहीं किया जाता तो सरकार द्वारा उन्हें दी गई सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी, साथ ही दंड स्वरूप नौकरशाहों के पैसे से ही इन संयंत्रो को चालू करवाया जाएगा। इन सबके चलते सबकुछ तेजी से होने लगा।

इस काम के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति का जागरण कैसे हुआ इसके लिए हमें भूत की कुछ घटनाओं में झांकना होगा। डॉ शेखर राघवन, जो भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर हैं उन पहले व्यक्तियों में से एक थे जिन्होने चेन्नई के लिए वर्षा जल संरक्षण के लाभों के बारे में सोचा। हालांकि चेन्नई में 1200 मिमी बारिश होती है, फिर भी शहर को पानी की भारी किल्लत का सामना करना पडता है, जबकि राजस्थान जैसा सूखा राज्य अपना काम चला लेता है। निश्चित ही चेन्नई में जरूरत थी बारिश के पानी को बचाने की। गंगा आकाश में थी और शहर इससे अपने आप को तुरन्त जोड सकता था। डॉ राघवन इन संयंत्रो के बारे में लोगों को बताने वाले चुनिंदा व्यक्तियों में से एक थे। उन्होने खुद अपने घर में एक संयंत्र लगवाया और पडाेसियों में भी इस बात की जागरूकता फैलाने लगे और उनकी मदद करने लगे।

सुदूर अमेरिका में राघवन के इस काम की वजह से चेन्नई में पैदा हुए रामकृष्णन को ये याद आने लगा कि कैसे उनकी मा सुबह 3 बजे उठ कर पानी भरती थी। राम और राघवन में संपर्क हुआ और उन्होने आकाशगंगा नामक संस्था की स्थापना की। इसका उद्देश्य था लोगों में इस बात की जागरूकता फैलाना कि कैसे वर्षाजल संरक्षण समाज की पानी की जरूरतों के हल बन सकते हैं। उन्होने चेन्नई में एक छोटे से मकान में वर्षा केन्द्र बनवाया जहां वर्षाजल संरक्षण की सरलता को दिखाया गया था। इस काम के लिए राम ने खुद 4 लाख रूपए लगाए और विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र विपके ने भी कुछ सहयोग और योगदान दिया। 21 अगस्त 2002 को तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री सुश्री जयललिता ने इस छोटे से भवन का उद्धाटन किया। इस तरह से वर्षाजल संरक्षण ने लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया।

बारिश भी कम हुई लेकिन परिणाम चौंकाने वाले थे और सुखद थे। चेन्नई के कुओं में पानी का स्तर कॉफी बढ चुका था और पानी का खारापन कम हो गया था। सडक़ों पर पानी का बहाव कम था और पहले जो पैसा पानी के टैंकरों पर खर्च होता था, लोगों की जेबों सुरक्षित था।

चेन्नई में एक नया जोश था। आज लगभग हर आदमी इस काम में विश्वास करता है। लोग कुओं की बातें ऐसे करने लगे हैं जैसे अपने बच्चों के बारे में लोग बातचीत किया करते हैं क्लब, विद्यालय, छात्रावास, होटल सब जगह पर कुओं की खुदाई होने लगी है।

रामकृष्णन चेन्नई स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी के पूर्व छात्र थे। आईआईटी में करीब 3000 छात्रों के लिए छात्रावास बनें हैं जिनके नाम भारत की प्रसिद्ध नदियों के ऊपर रखे गये हैं। पूरा कैम्पस करीब 650 एकड क़े विशाल हरे भरे प्रांगण में फैला हुआ है। उन्होने भारत की अपनी नियमित यात्रा के दौरान बडी विडम्बनाओं को देखा उनको पता चला कि हाल ही में हुई पानी की कमी के कारण संस्थान को दो महीनों के लिए बन्द रखना पडा था। पर राम के द्वारा वर्षाजल संरक्षण की तारीफ करे जाने के बाद छात्रावासों में धीरे धीरे वर्षाजल संरक्षण को लगाया गया और इसका परिणाम है कि अब संस्थान को पहले की तरह पानी खरीदना नहीं पडता। एक और व्यक्ति जो वर्षाजल संरक्षण को गंभीरता से ले रहे हैं उनका नाम है गोपीनाथ, जो चेन्नई के रहने वाले हैं और एक व्यापारी व अभियंता है। उनका घर वर्षाजल संरक्षण का आदर्श उदाहरण है। उन्होने इस विचार को आसपास के कारखानों में भी फैलाया है। टी वी एस समूह के कई कारखाने विम्को, स्टाल,गोदरेज, और बोयस जैसी कम्पनियों ने इस संयंत्र को लगवाया है और ये संख्या बढती ही जा रही है।

Answered by aaryanpaull
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वर्षा जल संचयन करने के कई तरीके हैं। इनमें से कुछ तरीके वर्षा जल का संचयन करने में बहुत ही कारगर साबित हुए हैं। संचयन किए हुए वर्षा जल को हम व्यावसायिक और साथ ही घरेलू उपयोग में भी ला सकते हैं। इन तरीकों में कुछ तरीकों के जमा किए हुए पानी को हम घरेलू उपयोग में ला सकते हैं और कुछ तरीकों से बचाए हुए पानी का हम व्यापारी क्षेत्र में उपयोग में ला सकते हैं। चलिए रेन वाटर हारवेस्टिंग के इन बेहतरीन तरीकों को जानते हैं।


1.सतह जल संग्रह सिस्टम

सतह जल वह पानी होता है जो वर्षा के बाद ज़मीन पर गिर कर धरती के निचले भागों में बहकर जाने लगता है। गंदी अस्वस्थ नालियों में जाने से पहले सतह जल को रोकने के तरीके को सतह जल संग्रह कहा जाता है। बड़े-बड़े ड्रेनेज पाइप के माध्यम से वर्षा जल को कुआं,नदी, ज़क तालाबों में जमा करके रखा जाता है जो बाद में पानी की कमी को दूर करता है।

2. छत प्रणाली

इस तरीके में आप छत पर गिरने वाले बारिश के पानी को संजय करके रख सकते हैं। ऐसे में ऊंचाई पर खुले टंकियों का उपयोग किया जाता है जिनमें वर्षा के पानी को संग्रहित करके नलों के माध्यम से घरों तक पहुंचाया जाता है। यह पानी स्वच्छ होता है जो थोड़ा बहुत ब्लीचिंग पाउडर मिलाने के बाद पूर्ण तरीके से उपयोग में लाया जा सकता है।

3. बांध

बड़े बड़े बांध के माध्यम से वर्षा के पानी को बहुत ही बड़े पैमाने में रोका जाता है जिन्हें गर्मी के महीनों में या पानी की कमी होने पर कृषि, बिजली उत्पादन और नालियों के माध्यम से घरेलू उपयोग में भी इस्तेमाल में लाया जाता है। जल संरक्षण के मामले में बांध बहुत उपयोगी साबित हुए हैं इसलिए भारत में कई बांधों का निर्माण किया गया है और साथ ही नए बांध बनाए भी जा रहे हैं।

4. भूमिगत टैंक

यह भी एक बेहतरीन तरीका है जिसके माध्यम से हम भूमि के अंदर पानी को संरक्षित रख सकते हैं। इस प्रक्रिया में वर्षा जल को एक भूमिगत गड्ढे में भेज दिया जाता है जिससे भूमिगत जल की मात्रा बढ़ जाती है। साधारण रूप से भूमि के ऊपर ही भाग पर बहने वाला जल सूर्य के ताप से भाप बन जाता है और हम उसे उपयोग में भी नहीं ला पाते है परंतु इस तरीके में हम ज्यादा से ज्यादा पानी को मिट्टी के अंदर बचा कर रख पाते हैं। यह तरीका बहुत ही मददगार साबित हुआ है क्योंकि मिट्टी के अंदर का पानी आसानी से नहीं सूखता है और लंबे समय तक पंप के माध्यम से हम उसको उपयोग में ला सकते हैं।


5. जल संग्रह जलाशय

यह साधारण प्रक्रिया है जिसमें बारिश के पानी को तालाबों और छोटे पानी के स्रोतों में जमा किया जाता है। इस तरीके में जमा किए हुए जल को ज्यादातर कृषि के कार्यों में लगाया जाता है क्योंकि यह जल दूषित होता है।

वर्षा जल संचयन के फायदे


1. घरेलू काम के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी बचा सकते हैं और इस पानी को कपड़े साफ करने के लिए खाना पकाने के लिए, तथा घर साफ करने के लिए, नहाने के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

2. बड़े-बड़े कल कारखाना में स्वच्छ पानी के इस्तमाल में लाकर बर्बाद कर दिया जाता है ऐसे में वर्षा जल को संचय करके इस्तमाल मैं लाना जल को सुरक्षित करने का एक बेहतरीन उपाय है। ज्यादा से ज्यादा पानी की बचत और जल संचयन करने के लिए ऊपर दिए हुए तरीकों का उपयोग कंपनियां कर सकती हैं।

3. कुछ ऐसे शहर और गांव होते हैं जहां पानी की बहुत ज्यादा कमी होती है और गर्मी के महीने में पानी की बहुत किल्लत होती है ऐसे में उन क्षेत्रों में पानी को भी लोग बेचा करते हैं। ऐसी जगह में वर्षा के महीने में जल संचयन करना गर्मी के महीने में पानी की कमी को कुछ प्रतिशत तक कम कर सकता है।


4. वर्षा जल संचयन के द्वारा ज्यादा से ज्यादा पानी एकत्र किया जा सकता है जिससे मुफ्त में गर्मी के महीनों में कृषि से किसान पैसे कमा सकतेहैं तथा पानी पर होने वाले खर्च को भी बचा सकते हैं। इसकी मदद से साथ ही ज्यादा बोरवेल वाले क्षेत्रों में बोरवेल के पानी को सूखने से भी रोका जा सकता है। ऐसा तभी संभव हो सकता है जब वर्षा ऋतु में ज्यादा से ज्यादा वर्षा के पानी का उपयोग कृषि के लिए लगाया जाए और गर्मी के महीने में वर्षा ऋतु में बचाए हुए जल का इस्तेमाल किया जाए।

5. वर्षा जल संचयन या रेन वाटर हारवेस्टिंग से ज्यादा से ज्यादा पानी को अलग-अलग जगहों में इकट्ठा किया जाता है जैसे बांधों में, कुओं में और तालाबों में। अलग-अलग जगहों में पानी का संचयन करने के कारण जमीन पर बहने वाले जल की मात्रा में कमी आती है जिससे बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा को रोकने में मदद मिलती है। बाढ़ होने पर कई प्रकार से उस क्षेत्र को आर्थिक रूप से क्षति पहुंचती है इसलिए इस चीज को रोक पाना लोगों के लिए एक अच्छी सुविधा और लोगों की आर्थिक मजबूती को बनाए रखना है।

6. आज दुनिया एक आधुनिक टेक्नोलॉजी से जुड़ी दुनिया बन चुकी है। ऐसे में लोगों के बढ़ती जनसंख्या के कारण आज विश्व के हर एक क्षेत्र मे बड़ी बड़ी इमारतों का निर्माण हो रहा है। यह बात तो साधारण है कि इन इमारतों के निर्माण के लिए सबसे ज्यादा पानी का उपयोग हो रहा है। ऐसे में वर्षा जल संचयन के माध्यम से बचाए हुए पानी को इन इमारतों के निर्माण मैं लगा कर कई प्रतिशत स्वच्छ पानी को बचा सकते हैं।
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