Varsha ritu nu tandav
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वर्षा ऋतु सभी ऋतुओं की रानी है . गर्मी में प्रचंड कष्ट भोगने के बाद यह ऋतु आती है . वर्षा का आगमन सबके लिए सुखदायी होता है . यह ऋतु वर्षा करने वाली होती है .इसीलिए इसका नाम वर्षा ऋतु है . इस ऋतु का आगमन जून महीने से आरम्भ होता है और इसका कार्य सितम्बर महीने तक चलता है .
वर्णन :
वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही साथ आकाश बादलों से ढक जाता है . कभी - कभी तो सम्पूर्ण दिन सूर्य भगवान् का दर्शन ही नहीं हो पाता . इस समय बादल जलसे पूर्ण होते है . कभी - कभी तो बहुत जोर की गर्जन से प्रारंभ होती है . वर्षा काल में भारी वर्षा के कारण नदी नाले भर जाते हैं . हर जगह हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है . एक कहावत भी है - सावन के अंधे को सब कुछ हरा ही हरा दिखाई देता है . बादल केवल पानी ही नहीं बरसाते बल्कि कभी - कभी ओले की भी वर्षा करते हैं . वर्षा से नदियों में बाढ़ आ जाती है . इस समय मोर नाचते तथा मेढ़क टर -टर की आवाज करते हैं .
लाभ :
वर्षा ऋतु में उल्लास बढ़ जाता है . कृषक प्रसन्न होकर अपने खेतों में काम करने लग जाते हैं . हमारे देश की कृषि पूर्ण -रूपेण वर्षा पर ही निर्भर करती है . इस ऋतू में धान की खेती प्रमुख रूप से की जाती है . वर्षा ऋतु के आगमन के साथ - ही - साथ कवियों की लेखनी प्रकृति की सुन्दर रचनाएँ करने लगती हैं .
हानि :
वर्षा से केवल उपकार ही नहीं होता , हानि भी होती है . भयंकर वर्षा होने पर गाँवों का रास्ता घात कीचड़ से भर जाता है . मकान धराशायी हो जाते हैं . शहरों में सड़कें जलमग्न हो जाती हैं .
उपसंहार :
ऐसे तो वर्षा ऋतु लोगों के लिए काफी कष्टदायी होती है ,परन्तु इसे वरदान ही मानना चाहिए . वर्षा के बिना देश में हाहाकार मच जाता है . वर्षा के अभाव में न तो अन्न ही मिल सकता है न वस्त्र ही . यह ऋतु बहुत ही सुहावनी तथा जीवन दायिनी होती है .
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