वस्त्र उद्योग में नये आविष्कार को समझाइएये क्या लिखा है
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भदोही के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने कहा कि बीएचयू भदोही में वस्त्र संस्थान की स्थापना करेगा। इस संस्थान में छात्रों को वस्त्र व कालीन उद्योग के लिए प्रशिक्षित किया जायेगा। केंद्र सरकार ने बीएचयू को इसकी स्थापना के लिये मंजूरी दे दी है। संस्थान में वस्त्रों पर शोध कार्य भी होंगे।
संस्कृत विश्वविद्यालय में शुक्रवार को 34वें इंडिया कार्पेट एक्सपो 2017 के समापन मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में वीरेंद्र सिंह ने कहा कि कालीन बुनकरों के लिये सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं जो जल्द लागू की जायेंगी। उन्होंने कहा कि कालीन नगरी भदोही में भेड़ के बालों से कालीन बनता है। इसके मद्देनजर नाबार्ड कालीन बुनकरों को भेड़ पालन के लिये 10 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता देगा। इससे बुनकर को कच्चा माल भी मिलेगा। भदोही में नाबार्ड ने भेड़ पालन को परीक्षण के तौर पर शुरू कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि योजना के तहत 10 भेड़ पालने वाले को एक लाख रुपये और 100 भेड़ पालने वाले को 10 लाख की सहायता मिलेगी। वीरेंद्र सिंह ने कहा कि कालीन बुनकरी को पुश्तैनी काम का दर्जा दिया जायेगा।निर्यातकों को मिला 337 करोड़ का आर्डर
इंडिया कार्पेट एक्सपो में चार दिनों के दौरान निर्यातकों को 337 करोड़ रुपये का आर्डर मिला है। यह भारतीय कालीन निर्यात संवर्द्धन परिषद (सीईपीसी) के अनुमान से कम है। सीईपीसी ने इस साल 350-400 करोड़ रुपये के निर्यात ऑर्डर का लक्ष्य रखा था। यह लक्ष्य पिछले साल के मुकाबले पहले ही 100 करोड़ रुपये कम रखा गया था। हालांकि खरीदारों ने 2857 करोड़ रुपये के ऑर्डर की पूछताछ की।
सीईपीसी के चेयरमैन महावीर प्रताप शर्मा ने कहा कि वैश्विक मंदी के चलते कारोबार का आंकड़ा कम रहा। इन आंकड़ों से कारोबारी निराश नहीं हैं क्योंकि मंदी के बावजूद 60 देशों के 400 से ज्यादा खरीदार एक्सपो में पहुंचे और भारतीय कालीनों में रुचि दिखाई। उन्होंने कहा कि वस्त्र नीति में फिलहाल कालीन बुनकरों को तवज्जो नहीं मिल पा रही है। इसीलिये सीईपीसी ने कालीन उद्योग के अनुकूल नीति बनाने के लिये वस्त्र मंत्रालय को पत्र लिखा है।
नये देशों से आये खरीदार
एक्सपो में सबसे अधिक अमेरिका से खरीदार पहुंचे। इस बार कुछ नये देशों से भी खरीदार पहुंचे। इन देशों में चिली, अर्जेंटीना, जापान, मैक्सिको, नीदरलैण्ड, पोलैण्ड, रोमानिया हैं।