वसीयत कहानी के आधार पर अपनी भाभी के प्रति हरिश के विचार स्पष्ट कीजिए
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जिस समय मैंने कमरे में प्रवेश किया, आचार्य चूड़ामणि मिश्र आंखें बंद किए हुए लेटे थे और उनके मुख पर एक तरह की ऐंठन थी, जो मेरे लिए नितांत परिचित-सी थी, क्योंकि क्रोध और पीड़ा के मिश्रण से वैसी ऐंठन उनके मुख पर अक्सर आ जाया करती थी. वह कमरा ऊपरी मंज़िल पर था और वह अपने कमरे में अकेले थे. उनका नौकर बुधई मुझे उस कमरे में छोड़कर बाहर चला गया.
आचार्य चूड़ामणि की गणना जीवन में सफल, सपन्न और सुखी व्यक्तियों में की जानी चाहिए, ऐसी मेरी धारणा थी. दो पुत्र, लालमणि और नीलमणि. लालमणि देवरिया के स्टेट बैंक की शाखा का मैनेजर था और नीलमणि लखनऊ के सचिवालय में डिप्टी सेक्रेटरी था. तीन लड़कियां थीं, सरस्वती, सावित्री और सौदामिनी. सरस्वती के पति श्री ज्ञानेन्द्रनाथ पाठक इलाहाबाद में पी.डब्ल्यू.डी. के सुपरिटेंडिंग इंजीनियर थे, सावित्री के पति श्री जयनारायण तिवारी की सुल्तानपुर में आटे की और तेल की मिलें थीं तथा सौदामिनी के पति संजीवन पांडे सेना में कर्नल थे और मेरठ छावनी में नियुक्त थे.