India Languages, asked by aditya258239, 7 months ago


वसन्तं जनाः ऋतुराज: i ............ इति उचितम् एव

Answers

Answered by choudhurypriya869
1

Answer:

आम्, इती उचितम् एव।Hope it will help u

Answered by sri321kanth789
2

Explanation:

।।16.7।।इस अध्यायकी समाप्तिपर्यन्त प्राणियोंके विशेषणोंद्वारा आसुरी सम्पत्ति दिखलायी जाती है? क्योंकि प्रत्यक्ष कर लेनेसे ही उसका त्याग करना बन सकता है --, आसुरी स्वभाववाले मनुष्य? प्रवृत्तिको अर्थात् जिस किसी पुरुषार्थके साधनरूप कर्तव्यकार्यमें प्रवृत्त होना उचित है? उसमें प्रवृत्त होनेको? और निवृत्तिको? अर्थात् उससे विपरीत जिस किसी अनर्थकारक कर्मसे निवृत्त होना उचित है? उससे निवृत्त होनेको भी? नहीं जानते। केवल प्रवृत्तिनिवृत्तिको नहीं जानते? इतना ही नहीं? उनमें न शुद्धि होती है? न सदाचार होता है? और न सत्य ही होता है। यानी आसुरी प्रकृतिके मनुष्य अशुद्ध? दुराचारी? कपटी और मिथ्यावादी ही होते हैं।

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