Veer Ras Ke udaharan
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Heya,
वीर रस
-» जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है।
-» उदाहरण:
वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो। सामने पहाड़ हो कि सिंह की दहाड हो। तुम कभी रुको नहीं, तुम कभी झुको नही।
HOPE IT HELPS:-))
वीर रस
-» जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है।
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वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो। सामने पहाड़ हो कि सिंह की दहाड हो। तुम कभी रुको नहीं, तुम कभी झुको नही।
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Veer Ras ke udaharan
Explanation:
- वीर रस हिंदी भाषा में रस का एक प्रकार है। जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थाई भाव की उत्पत्ति होती है तो वहाँ पर वीर रस होता है।
- उत्साह वीर रस का स्थाई भाव है।
- इस वीर रस के कारण किसी युद्ध जितने या किसी कठिन कार्य को करने की उत्साह की भावना की उतपत्ति होती है। कार्य करने की भावना जागृत होती है।
उदहारण : साजि चतुरंग सैन अंग में उमंग धारि
सरजा शिवाजी जंग जीतन चलत हैं।
भूषण भनत नाद बिहद नगारन के
नदी नाद मद गैबरन के रलत हैं। ।
मै सत्य कहता हूँ सखे सुकुमार मत जानो मुझे ,
यमराज से भी युद्ध में प्रस्तुत सदा मानो मुझे,
है और की तो बात गर्व मै करता नहीं,
मामा तथा निज तात से भी युद्ध से डरता नहीं।
Learn more : वीर रस, उत्साह, जागृत
https://brainly.in/question/14348589
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