very short poem on Sharad Ritu
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नवल रूप बिखरा है धरा पर
आज शरद ऋतु आयी है
उदय भास्कर हुआ गगन पर
स्वर्ण किरन लहराई है
सरवर का शीतल जल छूकर
मलय समीरण आयी है
कलरव मधुर मधुर चिड़ियों का
पड़ने लगा सुनाई है
मौसम के संग उपवन में भी
नूतन रंगत आई है
खेतों में पीली सरसों भी
फूली है इठलाई है
श्वेत सुगंधित सेवंती ने
छटा नयी बिखरायी है
मुदित हुए सब जन मौसम में
बड़ी खुमारी छायी है
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