Hindi, asked by manber, 11 months ago

videshi Vyapar se aap kya samajhte hain​

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Answered by shishir303
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विदेशी व्यापार का अर्थ उस व्यापार से है जिसमें दो या दो से अधिक देशों के बीच वस्तुओं का आदान प्रदान किया जाता है, सरल शब्दों में कहें तो दो देशों के मध्य होने वाले वस्तुओं के परस्पर विनिमय या आदान-प्रदान को विदेशी व्यापार कहते हैं।

एक देश से दूसरे देश में माल भेजने को निर्यात कहा जाता है तथा दूसरे देश से माल मंगाने को आयात कहा जाता है। निर्यात करने वाला देश निर्यातक कहलाता है और आयात करने वाला देश आयातक कहलाता है।

प्रश्न यह उठता है कि विदेशी व्यापार की आवश्यकता क्यों पड़ती है। तो इसका कारण ये है  कि मनुष्य को अनेक तरह की वस्तुओं की जरूरते पड़ती हैं और भौगोलिक कारणों से या तकनीक या संसाधनों की कमी के कारण एक देश हर तरह की वस्तुओं का उत्पादन नहीं कर सकता। वहीं कुछ वस्तुएं ऐसी होती हैं जो उस देश में आवश्यकता से अधिक उत्पादित होती हैं।  इस प्रकार संतुलन स्थापित करने के लिए अर्थात उत्पादित ना होने वाली वस्तुओं की आवश्यकता पूरी करने के लिए और जरूरत से ज्यादा उत्पादित वस्तुओं को खपाने के लिए विदेशी व्यापार की आवश्यकता पड़ती है।

विदेशी व्यापार के अनेक लाभ हैं...

  • देश में अधिक उत्पादित होने वाली वस्तुओं का निर्यात करके विदेशी मुद्रा अर्जित करना में मदद मिलती है। इस विदेशी मुद्रा का उपयोग देश की उन्नति के काम में लगाया जा सकता है।
  • व्यापार से दो देशों के बीच पारस्परिक सहयोग बढ़ता है।
  • संकट के समय दो देशों द्वारा एक दूसरे की मदद की जा सकती है।
  • विकासशील देश तकनीक के क्षेत्र में पिछड़े होते हैं इस कारण वो उच्च तकनीक वाली यांत्रिक चीजों का उत्पादन करने में असमर्थ होते हैं। अच्छी तकनीक वाली यांत्रिक चीजों को विकसित देशों से मंगा कर वो अपनी आवश्यकता की पूर्ति कर सकते हैं।
  • आयात द्वारा प्रतिस्पर्धा बढ़ती है। क्योंकि बाहर से उच्च गुणवत्ता वाली वस्तुयें मंगाने से देश में घरेलु उत्पादन करने वाली कंपनियों पर अच्छी गुणवत्ता वाली वस्तुयें उत्पादित करने का दवाब बढ़ता है।
  • घरेलू कंपनिया अपने उत्पाद को विदेशों में निर्यात करती हैं तो उनकी विश्व स्तर पर पहचान बनती है जो देश की अर्थव्यवस्था के लिये अच्छा होता है।

विदेशी व्यापार के दोष भी हैं...

  • विदेशी व्यापार के कारण कभी-कभी एक देश किसी उत्पाद के संबंध में दूसरे देश पर अत्याधिक निर्भर हो जाते हैं जिससे उनमें आत्मनिर्भरता कम होती है, जो किसी भी देश के विकास के लिये ठीक नही है।
  • कुछ विदेशी कंपनियां किसी देश में अत्याधिक प्रभाव और वर्चस्व बना लेती हैं और उस देश के आंतिरक मामलों के प्रभावित करती हैं।
  • विदेशी वस्तुओं के कारण देश के लघु और घरेलु उद्योगों को नुकसान पहुँचता है।
Answered by demesharsingh
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Explanation:

विदेशी व्यापार किसे कहते हैं आंसर बताइए

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