vidyalay main swasthya shiksha ke bare mein 200 se 250 word mein likhe
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विद्यालय स्वास्थ्य कार्यक्रम को स्वस्थ विद्यालय वातावरण स्वास्थ्य सेवाओं तथा स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रमों में विभक्त किया गया है। यह सभी अंग अथवा इनमें से कोई एक अंग विद्यालयों में बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। वास्तव में यह सभी अंग अन्तर्सम्बन्ध रखते हैं। इनमें से किसी एक का अच्छा अथवा बुरा प्रभाव दूसरे दो अंगों पर पड़ता है। अतः यदि हम लाभदायक विद्यालय स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाना चाहते हैं तो हम इनमें से किसी एक की भी उपेक्षा नहीं कर सकते। विद्यालय स्वास्थ्य कार्यक्रम के आवश्यक पक्ष निम्नलिखित हैं :
(1) स्वस्थ वातावरण
(2) विद्यालय स्वास्थ्य सेवाएं
(3) स्वास्थ्य शिक्षा
1. स्वस्थ वातावरण–विद्यालय स्वास्थ्य कार्यक्रम के इस क्षेत्र में सारा वातावरण आ जाता है जिससे बच्चों का विद्यालय में सम्पर्क होता है। अर्थात्
(i) भौतिक वातावरण
(ii) सामाजिक वातावरण
(iii) संवेगिक अथवा मनोवैज्ञानिक वातावरण।
2. विद्यालय स्वास्थ्य सेवाएं–विद्यालय स्वास्थ्य कार्यक्रम का लक्ष्य बच्चों के शारीरिक, मानसिक, संवेगिक तथा सामाजिक स्वास्थ्य को उच्चतम स्तर तक विकसित करना है। विद्यालय स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा तथा स्वास्थ्य सुधार करके इस लक्ष्य की प्राप्ति में बहुत महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। विद्यालय स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रमों के न्यूनतम मापदण्ड में निम्न गतिविधियां आती हैं :
(i) समय पर प्रतिरक्षा के कार्यक्रम चलाकर संक्रामक रोगों से रक्षा के उपाय करना।
(ii) विद्यालय का स्वास्थ्य सम्बन्धी लेखा-जोखा रखना
(iii) चिकित्सा सम्बन्धी देखभाल के कार्यक्रम।
(iv) बच्चों की स्वास्थ्य परीक्षा।
(V) पौष्टिक आहार सम्बन्धी सेवाएं
(vi) प्राथमिक चिकित्सा तथा आपातकालीन देखभाल।
(Vii) विद्यालय कर्मचारियों की स्वास्थ्य परीक्षा।
3. स्वास्थ्य शिक्षा–स्वास्थ्य के अर्थ को समझाने का प्रयास तथा उचित स्वास्थ्य सम्बन्धी व्यवहार करना स्वास्थ्य शिक्षा कहलाता है। विद्यालयों में स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य, विद्यार्थियों में अच्छी आदतें, अभिवृत्तियां तथा ज्ञान का विस्तार करना होता है जिससे बच्चों को स्वस्थ तथा प्रसन्न रहने में सहायता मिल सके। विद्यालयों में स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने की सर्वोत्तम विधि है स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम चलाना। इस प्रकार की शिक्षा के माध्यम से व्यक्तिगत तथा सामाजिक स्वास्थ्य के वैज्ञानिक तथ्यों को विद्यार्थियों तक पहुंचाया जा सकता है। इस प्रकार के ज्ञान को वह अपने जीवन में अपनाकर बहुत से रोगों तथा विकारों से बचाव हो सकता है।
विद्यालयों में स्वास्थ्य शिक्षा इस प्रकार चलाई जा सकती है : |
(i) किसी विशेष स्वास्थ्य पाठ्यक्रम की औपचारिक शिक्षा देना। |
(ii) आकस्मिक स्वास्थ्य शिक्षा कई बार बच्चों के साथ व्यक्तिगत सम्पर्को के समय इस प्रकार की शिक्षा अथवा सुझाव देने के अवसर प्राप्त हो जाते हैं। इस प्रकार के अवसरों से बच्चों की व्यक्तिगत समस्याएं सुलझाई जा सकती हैं।
(iii) सम्बन्धित स्वास्थ्य शिक्षा–स्वास्थ्य शिक्षा दूसरे विषय पढ़ाते समय उस विषय को स्वास्थ्य शिक्षा के साथ जोड़कर दी जा सकती है।
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