Vidyalaya Mein Van Mahotsav karyakram Hua. Karyakram ke Mahan uddeshya aur Safal prastuti par chatro ki batchit samvad Roop Mein likhiye. (Dialogue writing)
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विद्यालय में हुये वन महोत्सव कार्यक्रम के महान उद्देश्य पर सफल प्रस्तुति पर दो छात्रों के बीच बातचीत (संवाद)
(दो छात्रों मोहन और राकेश के बीच अपने विद्यालय के वनमहोत्सव के विषय में चर्चा हो रही है।)
मोहन — अपने विद्यालय में संपन्न हुआ वन महोत्सव कार्यक्रम बड़ा अच्छा रहा।
राकेश — हाँ, पेड़ों के प्रति हमारे ज्ञान में वृद्धि हुई।
मोहन — साथ ही हमें प्रेरणा भी मिली कि हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए और पेड़ों का हमारे जीवन में कितना महत्व हैस इसको हम आज अच्छी तरह समझ पाए हैं।
राकेश — तुम बिल्कुल ठीक कहते हो। मैं तो वन महोत्सव में तरह-तरह के पेड़ों के बारे में जानकारी प्राप्त कर बहुत ही रोमांचित हूं। मैं पेड़ों का महत्व गया हूं और मैंने हर महीने कम से कम ही एक वृक्ष लगाने का संकल्प लिया है।
मोहन — तुम्हारी यह सोच बहुत अच्छी है। मैं भी ऐसा ही संकल्प लेता हूं कि हर महीने कम से कम एक पौधा अवश्य लगाया करूंगा।
राकेश — बिल्कुल हमारी सृष्टि, हमारा पर्यावरण, हमारे वायुमंडल में व्याप्त स्वच्छ हवा पेड़ों पर निर्भर है। जितने अधिक पेड़ होंगे हमारा वायुमंडल अपना उतना ही अधिक स्वच्छ होगा।
मोहन — हम मानव लोग कितने निर्दयी हो गए हैं। पेड़ों को अंधाधुंध काटकर अपनी धरती को उजाड़ करने पर तुले हुए हैं।
राकेश — इसीलिए तो ऐसे वन महोत्सव निरंतर होते रहने चाहिए ताकि लोगों में अपने पर्यावरण और पेड़ों के प्रति जागरूकता पैदा हो और हम अपने अपने वनों के संरक्षण की ओर ध्यान दें।
मोहन — पृथ्वी पर वनों की संख्या दिन-प्रतिदिन घटती जा रही है, यदि हम शीघ्र ही नहीं चेते तो हमारे पृथ्वी से वनों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा और तब हमारा अस्तित्व संकट में पड़ सकता है।
मोहन — तुम बिलकुल ठीक कहते हो।