Hindi, asked by hebri, 1 year ago

Vidyarti ka jeevan ma anushasan ka mahatva

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Answered by donasussan
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Vidyarthi aur anushasan essay in Hindi...........................by SUSSAN............................ . . आदर्श विद्यार्थी वह है जो ज्ञान या विद्या की प्राप्ति को जीवन का पहला आदर्श मानता है। जिसे विद्या की चाह नहीं वह आदर्श विद्यार्थी नहीं हो सकता। यह विद्या ही है जो मनुष्य को नम्र, सहनशील और गुणवान बनाती है। विद्या की प्राप्ति से ही विद्यार्थी आगे चलकर योग्य नागरिक बन पाता है। आदर्श विद्यार्थी को अच्छी पुस्तकों से प्रेम होता है। वह पुस्तक में बताई गई बातों को ध्यान में रखता है और अपने जीवन में उतार लेता है। वह अच्छे गुणों को अपनाता है और बुराइयों से दूर रहता है। उसके मित्र भी अच्‍छे सद्‍गुणों से युक्त होते हैं। वह अपने गुरुजनों का सम्मान करता है। आदर्श विद्यार्थी अपने चरित्र को ऊंचा बनाने का प्रयास करता है। वह शिक्षकों तथा अभिभावकों की उचित सलाह को सुनकर उस पर अमल करता है। आदर्श विद्यार्थी देश के भविष्य में मददगार साबित होते हैं। वे ही बड़े होकर डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, शिक्षक, पत्रकार, आईएएस, आईपीएस, वकील और फौज में उच्च अधिकारी आदि बनते हैं। वे देश की सेवा करते हैं और अपने देश व परिवार का नाम ऊंचा करते हैं। यदि किसी व्यक्ति का विद्यार्थी जीवन आदर्श रहा हो तो उसे आगे चलकर आदर्श नागरिक बनने में काफी मुश्किल हो सकती है। आदर्श विद्यार्थी को सीधा और सच्चा होना चाहिए। उसे आलस्य नहीं करना चाहिए। परिश्रमी और लगनशील होना चाहिए। पढ़ाई के अलावा खेलकूद व अन्य गतिविधियों में भी भाग लेना चाहिए। उसे विद्यालय में होने वाली सभी तरह की गतिविधियों में भाग लेकर अपने व्यक्तित्व का विकास करना चाहिए। एक आदर्श विद्यार्थी अपने लक्ष्य को हमेशा ध्यान में रखता है। English Version... Lore is the realization of the ideal student life first idolizes. He did not want to discipline the student may not be ideal. The man who is gazing gentle, patient and talented cooks. Student learning from the receipt of further finds worthy citizens. The ideal candidate would love good books. He looks at things described in the book and his life takes off. He uses a number of good qualities and keeps away from evil. There are also good friends with his virtues. He respects his elders. The ideal student tries to raise your character. Listening to the teachers and parents act on the appropriate advice. nd Ideal students are helpful in the future of the country. They grow as doctors, engineers, scientists, teachers, journalists, IAS, IPS, lawyers and military top brass etc. are formed. They serve the country and the name of his country and family are high. If a person is ideal student later become ideal citizens can be quite difficult. The ideal candidate must be straight and true. He should not laziness. Must be hard working and devoted. Besides studies must participate in sports and other activities. He took part in all activities occurring in the school should develop your personality. An ideal student is your goal in mind.

donasussan: Please mark best dear.....my fingers and keyboard r tired.....
Answered by ishaqzaade10
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                         निबंध :- विद्यार्थी के जीवन में अनुशाशन का महत्व


एक विद्यार्थी के जीवन में अनुशाशन का बहुत बड़ा महत्व रहता है अगर अनुशाशन है तोह ही विद्यार्थी जीवन संभव है वरना बिना अनुशाशन के विद्यार्थी जीवन सोचा भी नहीं जा सकता। अगर कोई विद्यार्थी पढ़ने लिखने में ज़यदा आचा नहीं है मगर वो विद्यालय में अनशन से रहता है तो वह निच्चिन्त ही एक दिन बड़ा अफसर बन जायेगा क्योकि वास अनुशाशन  का महत्व जनता है । 

अनुशासन राष्ट्रीय जीवन के लिए बेहद जरूरी है। यदि प्रशासन, स्कूल, समाज,परिवार सभी जगह सब लोग अनुशासन में रहेंगे और अपने कर्त्तव्य का पालन करेंगे, अपनी ज़िम्मेदारी समझेंगे तो कहीं किसी प्रकार की गड़बड़ी या अशांति नहीं होगी। नियम तोड़ने से ही अनुशासनहीनता बढ़ती है तथा समाज में अव्यवस्था पैदा होती है।

बड़े होकर अनुशासन सीखना कठिन है। अनुशासन के बिना व्यक्ति पशु के समान है। विद्यार्थी का जीवन अनुशासित व्यक्ति का जीवन कहलाता है। विद्यार्थी को विद्यालय के नियमों पर चलना होता है। शिक्षक का आदेश मानना पड़ता है। ऐसा करने पर वह योग्य, चरित्रवान व आदर्श नागरिक कहलाता है।

विद्यार्थी जीवन में ही बच्चों में शारीरिक एवं मानसिक गुणों का विकास होता है अत: उसका भविष्य सुखमय बनाने के लिए अनुशासन में रहना जरूरी है। किसी काम को व्यवस्था के साथ-साथ अनुशासित होकर करते हैं तो उस कार्य को करने में कोई परेशानी नहीं होती। इसके अलावा कार्य करते समय भय, शंका एवं गलती होने का डर नहीं होता है। इसलिए सफलता प्राप्त करने के लिए अनुशासन में रहना जरूरी है।

अनुशाशन हम अपने भगवन शिक्षक से सीखते है तो हमें उनकी भी इज़्ज़त करना चाहिये क्योकि हमें बनाने में उन्ही का हाथ होता है । अगर शिक्षक चाहे तोह व किसी भी बच्चे को बना सकता है और बिगाड़ भी सकता है तोह हमें उनके रोज़ प्रणाम करना चाहिये औए उनकी इज़्ज़त करना चाहिये तभी हम एक आदर्श विद्यार्थी बन सकेंगे ।
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