Vigyan ka durupyog kin manviya mulyon ko khati pauchata hai mai kyu likkta ho ke anusar par bataye
Answers
आज उसके आविष्कार ही हमारे लिए अभिशाप बन गए हैं । विज्ञान की मदद से किए जाने वाले हमारे दैनिक कार्यो में कई ऐसी बातें जुड़ती चली गईं जिनके कारण धरातल के संपूर्ण जीव जगत् पर संकट के बादल मँडराने लगे। मनुष्यों ने अपना दैनिक जीवन तो सुलभ बना लिया परंतु आगामी पीढ़ी के लिए धरती एक समस्या सी बनती जा रही है ।
अत: ऐसे विचारों के लोगों की संख्या कम नहीं है जो विज्ञान को एक अभिशाप के रूप में देखते हैं । साथ-साथ हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि किसी भी वस्तु का दुरुपयोग हमारे लिए अभिशाप बन जाता है ।
विज्ञान के आविष्कारों ने औद्योगिक क्रांति को जन्म दिया जिसके फलस्वरूप आज नगरों में मशीनों व कल-कारखानों की संख्या अत्यधिक बढ़ गई है । गाँवों से लोग शहरों की ओर आ रहे हैं जिससे शहरों में आबादी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है ।
अनेक क्षेत्रों में मनुष्य का कार्य मशीनों ने ले लिया है जिससे बेरोजगारी बढ़ रही है । आज प्रतिस्पर्धा के दौर में सामान्य व्यक्ति को अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जमीन-आसमान एक करना पड़ रहा है ।
आज पूँजी मुख्य रूप से चंद लोगों के हाथों में सिमट गई है । लाभ का एक बड़ा हिस्सा, मिल-मालिकों व भ्रष्ट अधिकारियों के हाथों में जाता है । वहीं दूसरी ओर काम करने वाले लोगों तक उतना ही पहुँचता है जिससे वह अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति ही कर पाता है ।
इसके फलस्वरूप पूरा समाज धनवान और निर्धन में विभाजित हो गया है । इन्हीं कारणों से संपूर्ण विश्व भी पूँजीपति व समाजवादी देशों में विभाजित हो गया है । अत: विज्ञान ने आज मनुष्य को मनुष्य से अलग कर दिया है ।
आज विज्ञान का दुरुपयोग कई तरह से हो रहा है। दुनिया के अग्रणी देश जीवाश्म ईंधनो का बढ़—चढ़कर उपयोग कर रहे हैं जिससे हमारा पर्यावरण धीरे-धीरे विनाश की ओर बढ़ रहा है। कई वैज्ञानिक आज इंसानों के क्लोन बनाने की बात कर रहे हैं। कई देश एक से बढ़कर एक जैविक हथियार तैयार कर रहे हैं। खुद को शक्तिशाली बनाने के लिए कई राष्ट्रों ने मिसाइल और परमाणु बम का भी निर्माण कर लिया है। ये बम अगर किसी देश पर गिरा दिए जाएं तो सैकड़ों वर्ष तक वहां मनुष्य पैदा नहीं होंगे।ये हथियार एवं समय-समय पर नई-नई तकनीकों का उपयोग सम्पूर्ण पृथ्वी को बंजर बना देगा। खुद को अधिक शक्तिशाली बनाने की होड़ में देश और वहां के लोग एक—दूसरे के प्रति प्रेम को भूलते जा रहे हैं। विज्ञान का दुरुपयोग रोकने के लिए सबसे पहले खुद से शुरुआत करनी चाहिए। अपने घर—परिवार के सदस्यों को इसके बारे में जागरू करना चाहिए। उसके बाद मैं अपने समाज में जागरूकता फैलाने से भी विज्ञान के दुरुपयोग को रोका जा सकता है। अगर विज्ञान का दुरूपयोग नहीं रोका गया तो यह मानव सभ्यता को पतन की ओर ले जाएगा इस बात में कोई शक नहीं है| अतः हमें विज्ञान का उपयोग उन गतिविधियों तक ही सीमित रखना चाहिए जो जीवन के लिए आवश्यक हों और जिनसे पृथ्वी पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव न्यूनतम हों आसान भाषा में कहें तो हमें विज्ञान के गैर जरूरी उपयोग से बचना चाहिए|