Vigyan kai chamatkar nibandh in Hindi
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आज विज्ञान का युग है। जिधर दृष्टि डालो, विज्ञान के चमत्कार दिखायी पड़ते हैं। हमें उपलब्ध सभी सुख सुविधायें विज्ञान की ही देन है। विज्ञान ने हमें जादू नगरी में पहुंचा दिया है। जहां पर हमारी जरूरत की प्रत्येक वस्तु उपलब्ध है। बिजली और उससे चलने वाले सभी उपकरण, रेल, वायुयान, राकेट विज्ञान की ही देन है।विज्ञान हमारी प्रगति और विकास का आधार है। आज हम इसके बिना जीवन व्यतीत करने के बारे में सोच भी नहीं सकते। पूरा विश्व आज हमारी पहुंच के अंदर है- सोचो और पलक झपकते सब कुछ सम्भव हो जाता है।
विज्ञान से हमारे जीवन के सभी क्षेत्र प्रभावित और उन्नत हुये हैं। शिक्षा और मनोरंजन दोनों के लिये रेडियो, दूरदर्शन, कंप्यूटर, देशी विदेशी पत्र पत्रिकायें, दूर संचार के साधन उपलब्ध हैं। दुसाध्य बीमारियों के इलाज के लिये औषधियां एवं उपचार के साधन मौजूद हैं। पृथ्वी को नाप कर, समुन्द्र को लांघकर इंसान ने आकाश की ऊंचाईयों को विज्ञान द्वारा ही हासिल किया है। चांद भी आज अछूता नहीं रहा।
फोन अब मोबाइल हो गये हैं। इण्टरनेट एवं ई मेल से बातें की जाती हैं। ज्ञान की कोई सीमा नहीं रही। हर क्षेत्र परिचित सा और हर क्षेत्र का असीमित विस्तार हो गया है।
लेकिन विज्ञान ने जहां इंसान को इतने सुख दिये, लाभ पहुंचाये वहां उसके कुछ नुकसान भी हैं। विज्ञान जितना कल्याणकारी है उतना विनाशकारी भी है। विज्ञान ने मानव की इच्छाओं को असीमित कर उसे भौतिकवादी बना दिया है। उसके हाथ में परमाणु शक्ति देकर युद्ध का खतरा खड़ा कर दिया है। लेकिन सच मानें तो यह विज्ञान का दोष नहीं है। यह तो मानव द्वारा विज्ञान के उपयोग पर निर्भर है।
विज्ञान का सदुपयोग वरदान है तो उसका दुरूपोग अभिशाप है। अभी तो विज्ञान की चकाचौंध में इंसान डूब गया है। भौंचक्का सा उसका उपभोग करने में मग्न है। परन्तु हमें इसकी बुराइयों पर भी नजर डालनी होगी तभी विज्ञान हमारे लिए वरदान सिद्ध होगा।
विज्ञान से हमारे जीवन के सभी क्षेत्र प्रभावित और उन्नत हुये हैं। शिक्षा और मनोरंजन दोनों के लिये रेडियो, दूरदर्शन, कंप्यूटर, देशी विदेशी पत्र पत्रिकायें, दूर संचार के साधन उपलब्ध हैं। दुसाध्य बीमारियों के इलाज के लिये औषधियां एवं उपचार के साधन मौजूद हैं। पृथ्वी को नाप कर, समुन्द्र को लांघकर इंसान ने आकाश की ऊंचाईयों को विज्ञान द्वारा ही हासिल किया है। चांद भी आज अछूता नहीं रहा।
फोन अब मोबाइल हो गये हैं। इण्टरनेट एवं ई मेल से बातें की जाती हैं। ज्ञान की कोई सीमा नहीं रही। हर क्षेत्र परिचित सा और हर क्षेत्र का असीमित विस्तार हो गया है।
लेकिन विज्ञान ने जहां इंसान को इतने सुख दिये, लाभ पहुंचाये वहां उसके कुछ नुकसान भी हैं। विज्ञान जितना कल्याणकारी है उतना विनाशकारी भी है। विज्ञान ने मानव की इच्छाओं को असीमित कर उसे भौतिकवादी बना दिया है। उसके हाथ में परमाणु शक्ति देकर युद्ध का खतरा खड़ा कर दिया है। लेकिन सच मानें तो यह विज्ञान का दोष नहीं है। यह तो मानव द्वारा विज्ञान के उपयोग पर निर्भर है।
विज्ञान का सदुपयोग वरदान है तो उसका दुरूपोग अभिशाप है। अभी तो विज्ञान की चकाचौंध में इंसान डूब गया है। भौंचक्का सा उसका उपभोग करने में मग्न है। परन्तु हमें इसकी बुराइयों पर भी नजर डालनी होगी तभी विज्ञान हमारे लिए वरदान सिद्ध होगा।
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