'Vigyan pragati kaa aadhaar' par nibandh
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विज्ञान प्रगति' हिन्दी में वैज्ञानिक एवं तकनीकी विषयों पर अद्यतन सामग्री देने वाली मासिक पत्रिका है। इसका प्रकाशन सन् १९५२ से आरम्भ हुआ। इसके प्रकाशन का मूल उद्देश्य सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं में होने वाले वैज्ञानिक अनुसंधानों के बारे में सूचना देना था।
स्वतत्रता प्राप्ति के बाद भारत में जब हिन्दी को समुचित स्थान दिलाने के प्रयास कए जा रहे थे तब वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सी. एस. आई. आर.) ने जन-मानस में हिन्दी भाषा में विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए एक महत्वपूर्ण एवं दूरदर्शी निर्णय लिया जिसके फलस्वरूप वर्ष 1952 में विज्ञान प्रगति नामक लोकप्रिय विज्ञान पत्रिका के प्रकाशन का कार्य प्रारंभ हुआ। आरंभ में यह पत्रिका एक न्यूजलेटर के रूप में, सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं में किए जा रहे वैज्ञानिक अनुसंधानों के बारे में सूचनाएं प्रकाशित करती थी। बाद में इसका प्रकाशन जन-मानस में वैज्ञानिक दृष्टिकोण जगाने तथा अंधविश्वास से छुटकारा दिलाने के लिए एक लोकप्रिय विज्ञान पत्रिका के रूप में किया जाने लगा। तब से लेकर आज तक अपने नाम के अनुरूप विज्ञान प्रगति भारत के लोगों को विज्ञान की प्रगति के बारे में जानकारी देती आ रही है। अगस्त 2010 में पत्रिका ने अपना 675वां अंक प्रकाशित किया। जनवरी 2011 यह लोकप्रिय विज्ञान पत्रिका अपने प्रकाशन के 60वें वर्ष में प्रवेश कर गयी।
अपना उद्देश्य 'जन-मानस के लिए विज्ञान' के अनुसार विज्ञान प्रगति भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के योगदान को मानव कल्याण तथा उसके समाज पर प्रभाव के विभिन्न क्षेत्रों पर जानकारी प्रदान करती है। इस पत्रिका में अपना अमूल्य सहयोग देने वालों में श्री शिवराज पाटिल, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष; डॉ एस. जेड. कासिम, पूर्व सदस्य (विज्ञान) योजना आयोग; डॉ॰ आर एक माशेलकर, पूर्व महानिदेशक सीएसआईआर; प्रो. ए. रहमान, पूर्व निदेशक निस्टैडस; प्रो. यशपाल; तथा डॉ॰ एन. विट्ठल सम्मिलित हैं।
विज्ञान प्रगति विभिन्न सामयिक विषयों पर विशेषांकों का प्रकाशन भी करती है। विज्ञान प्रगति की लोकप्रियता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि इसकी प्रसार संख्या लोकप्रिय विज्ञान पत्रिकाओं में से सर्वाधिक है। देश के दूर-दराज के क्षेत्रों में इस पत्रिका के 10-11 लाख से ज्यादा पाठक होंगे। विदेशों में भी विज्ञान प्रगित के पाठक उपलब्ध हैं।
विज्ञान हर नए अनुसंधान के साथ मानव जीवन को अधिक सरल बनाता चला जा रहा है। आज विज्ञान के बढ़ते चहुंओर विकास के कारण मानव दुनिया के हर क्षेत्र में अग्रसर दिखाई दे रहा है। मानव ने विज्ञान की सहायता से पृथ्वी पर उपलब्ध हर चीज को अपने काबू में कर लिया है। विज्ञान की सहायता से हम ऊंचे आसमान में उड़ सकते हैं व गहरे पानी में सांस ले सकते हैं।
विज्ञान के बढ़ते हुए विकास के कारण ही हम चंद्रमा से लेकर मंगल ग्रह में पहुंच पाए हैं। हाल ही में भारत के मंगलयान का सफलता पूर्वक मंगल की कक्षा में पहुंचना मानव की विज्ञान के क्षेत्र में बढ़ रही प्रगति का उदाहरण है। पुरातन काल में जो चीजें असंभव सी प्रतीत होती थी। विज्ञान के बढ़ते उपयोग के कारण अब वह साधारण सी महसूस होती हैं।
चिकित्सा के क्षेत्र में : विज्ञान के नए नए शोधों के चलते मानव हर दिन एक नई मुसीबत से छुटकारा पा लेता है। 20 साल पहले मलेरिया जहां जानलेवा बीमारी मानी जाया करती अब विज्ञान की प्रगति के साथ मलेरिया एक आम बीमार बनकर रह गई हैं।
विज्ञान ने चिकित्सा व्यवस्था में बहुत प्रगति कर ली है। पिछले सालों से लाइलाज बीमारी मानी जा रही एड्स पर भी वैज्ञानिकों ने धीरे-धीरे पकड़ बनाना शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि नई चिकित्सा पद्यति के चलते अब एड्स की पकड़ कमजोर पड़ने लगी है। और माना जा रहा है कि निकट भविष्य में इस जानलेवा बीमारी का जड़ से खात्मा हो जाएगा।
यातायात के क्षेत्र में : आज विज्ञान यातायात के क्षेत्र में दिन दूना और रात चौगुना तरक्की कर रहा है। कहां पहले एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिए दिनों लग जाते थे। अब हवाई जहाज और तेज रफ्तार की ट्रेनों के दौर में पलक झपकते एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा जा सकता है।

जहां पहले आम लोगों के लिए ज्यादा किराया होने हवाई यात्रा करना मात्र एक सपना हुआ करता था। आज बदलते दौर के साथ आम लोग भी हवाई यात्रा
का किराया वहन कर पाते हैं और हवाई यात्रा का आनंद उठा पाते हैं। पिछले दस सालों में भारत के लगभग हर घर में कार पहुंच गई है जो विज्ञान की प्रगति को सीधे तौर पर बयां करती है।
संचार के क्षेत्र में : ऑनलाइन न्यूजपेपर, ऑनलाइन न्यूजसाइट पर एक क्लिक पर खबरों का संसार मौजूद है। वैश्वीकरण के इस दौर में दुनिया के चप्पे-चप्पे की खबर हम अपने मोबाइल की एक बटन दबाते ही जान लेते हैं। फेसबुक, ट्विटर, वाट्सऐप के सहारे चाहे हम अपने सगे संबंधियों से कितने ही दूर क्यों न हों। पर इन सबके माध्यम से अब हम उनसे 24 घंटे जुड़े रह सकते हैं।
उपसंहार : इस प्रकार विज्ञान के नित नए अविष्कार हमारे जीवन में रोज चमत्कार उत्पन्न कर रहे हैं। हर दिन एक नई खोज, नए उत्पाद से हमारा परिचय होता है जो हमारे जीवन की जटिलता को सरल बना रहे हैं।
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