Hindi, asked by rudra98, 1 year ago

vigyapano ka jeevan par Prabhav ka nibandh in Hindi

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Answered by KomalaLakshmi
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विग्नपन का अस्तित्व लंबे समय से है। पहले इसके तरीके अत्यंत सरल एवं साधारण होते थे।पर आजकल ये क्रांति का रूप धारण किया है।निर्माता जितना खर्च उत्पाद की गुणोमे नही करता उतना खर्च vignapan पर करता है।आज हम vignapan के युग मे ही जी रहे है ऐसे कहना अतिश्योक्ति नही होगी।आजकल टी.वी , इंटरनेट, अकबार, होर्डिंग्स, आदि साधान उपलब्ध है।विग्नपन में उत्पाद के फायदे-नुकसान व मूल्य बताना मुख्य उद्देश्य है।मगर वास्तव रूप में कोई भी विग्नपन उत्पाद के नुकसान नहीं बताता।अथवा सितारों( hero, hiroin) से अभिनय(acting) करवाकर उसे और बढ़ावा देते है।इस तरह वो घण्टों तक दर्शकोंके मन -मस्तिष्क पर बस रहता है।हर हालत में उसे खरीदना चाहते हैं।इससे औरते अपना बजट बिगाड़ लेते है।; बच्चे जिद से अपने माँग पूरा कर लेते हैं।सैकड़ों बच्चों ने इसकी जिद में अपने प्राण खो दिए।


विग्नपन एजेंसी दर्शकोंके नब्ज पेहचनली है।तभी भावनात्मक विग्नपन बनाये जाते है।सिर्फ 35 सेकंड के विग्नपन पर कंपनी करोडों रूपय इसलिए खर्च कर देती है कि उन्हे असीमित फायदा मिल रहा होता हैं।जो वे लोग दिखाते हैं उसी ब्रांड की मांग करते हैं।दर्शक उसकी हानियाँ जाने बगैर उसका इस्तेमाल करता हैं।प्रभाव शाली संगीत(जिंगइल्स) तुरंत लोगों की जुबान पर चढ़ जाता है।घर घर में अपना स्थान बना लेता हैं।कोई इनका परीक्षण भी नही करता। चौमीन(मैगीनूडल्स) इसका सर्वोत्तम उदाहरण है।पहले इसके ऊपर बान था। अब फिर से ये फ़िर से बाज़ार में उपलब्द हैं और बिक भी रहा हैं।अंतमे यही कहा जाता हैं कि विग्नपन की दुनिया वो तिलिस्मी दुनिया हैं जिसने हर आयु,हर सामाजिक वर्ग को अत्यंत सरलता से अपने मुट्ठी में ले लिया हैं और ये पकड़ मजबूत होती जारही हैं।अंधानुकरण से बचे।उपभोक्ता सावधान रहें।अपनी आवश्यकता के अनुसार देख-रेख कर चुनाव करे।
Answered by joinanu14
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