Hindi, asked by HNBH, 9 months ago

Vikas ki and hi daud me paryavaran kis prakar prabhavit hua hai Is kathan par 350 shabdo Ka anuched likho​

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Answered by singhritu12
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हर साल पूरे विश्व में पांच जून को पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित यह दिवस पर्यावरण के प्रति अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राजनैतिक और सामाजिक जागृति लाने के लिए मनाया जाता है। जब से इस दिवस को सिर्फ मनाया जा रहा है तबसे लगातार पूरे विश्व में पर्यावरण की खुद की सेहत बिगड़ती जा रही है। इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है कि आज जब विश्व पर्यावरण दिवस को मनाए जाने की खानापूर्ति की जा रही है तो प्रकृति भी पिछले कुछ दिनों से धरती के अलग अलग भूभाग पर, कहीं ज्वालामुखी फटने के रूप में, तो कहीं सुनामी, कहीं भूकंप और कहीं ऐसे ही किसी प्रलय के रूप में इस बात का ईशारा भी कर रही है कि अब विश्व समाज को इन पर्यावरण दिवस को मनाए जाने जैसे दिखावों से आगे बढ़ कर कुछ सार्थक करना होगा। विश्व के बड़े-बड़े विकसित देश और उनका विकसित समाज जहां प्रकृति के हर संताप से दूर इसके प्रति घोर संवेदनहीन होकर मानव जनित वो तमाम सुविधाएं उठाते हुए स्वार्थी और उपभोगी होकर जीवन बिता रहा है जो पर्यावरण के लिए घातक साबित हो रहे हैं। वहीं विकासशील देश भी विकसित बनने की होड़ में कुछ-कुछ उसी रास्ते पर चलते हुए दिख रहे हैं जो कि पर्यावरण और धरती के लिए लिए घातक सिद्ध हो रहा है।

2015 में 30 नवंबर से 12 दिसंबर के बीच फ्रांस के पेरिस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन हुआ था। इस सम्मेलन में विश्व के सभी देशों ने हिस्सा लिया था। पेरिस समझौता प्रमुख रूप से वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने से जुड़ा हुआ है। पेरिस समझौता दुनिया के सभी देशों को वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने की कोशिश करने के लिए भी कहता है। पेरिस समझौते को दुनिया के करीब 55 फीसदी कार्बन उत्सर्जन करने वाले देशों को मानना है हालांकि अब अमेरिका के इससे अलग हो जाने पर इस संधि के भविष्य को लेकर आशंकाएं उठने लगी हैं। पेरिस संधि पर शुरुआत में ही 177 सदस्यों ने हस्ताक्षर कर दिये थे।

 

वैज्ञानिकों के अनुसार अगर धरती का तापमान 2 डिग्री से ऊपर बढ़ता है तो धरती की जलवायु में बड़ा परिवर्तन हो सकता है। जिसके असर से समुद्र तल की ऊंचाई बढ़ना, बाढ़, जमीन धंसने, सूखा, जंगलों में आग जैसी आपदाएं बढ़ सकती हैं। वैज्ञानिक इसके लिए ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को जिम्मेदार मानते हैं। ये गैस बिजली उत्पादन, गाड़ियाँ, फैक्टरी और बाकी कई वजहों से पैदा होती हैं। चीन दुनिया में सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाला देश है, चीन के बाद दूसरे नंबर पर अमेरिका विश्व में कार्बन का उत्सर्जन करता है, जबकि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जन करने वाला देश है। अगर विश्व के ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाले देश कॉर्बन उत्सर्जन में आने वाले समय में कटौती करते हैं तो यह विश्व के पर्यावरण और जलवायु के लिए निश्चित ही सुखद होगा। लेकिन अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के नेतृत्व में हुए जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते से अमेरिका को अलग करने की घोषणा की है, जो कि निश्चित ही पेरिस समझौते को बहुत बड़ा झटका है। ट्रंप ने अपने वक्तव्य में कहा है कि पूर्ववर्ती ओबामा प्रशासन के दौरान 191 देशों के साथ किए गए इस समझौते पर फिर से बातचीत करने की जरूरत है।

 

hope it helps you...

Answered by siraj856sj
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Answer:

yea aap ki photo ha kaya

jo aap na bahi ha

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