Viram chinh ke 10 udaharan dijiye
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।।जय श्री गणेश।।
।।आशा करती हूँ की आपको आपको आपके प्रश्न का उत्तर मिल गुअ होगा।।
विराम चिन्ह की परिभाषा :-
विराम चिन्ह का अर्थ होता है विश्राम या रूकना। अथार्त वाक्य लिखते समय विराम को प्रकट करने के लिए लगाये जाने वाले चिन्ह को ही विराम चिन्ह कहते हैं।
वाक्य को लिखते अथवा बोलते समय बीच में कहीं थोड़ा-बहुत रुकना पड़ता है जिससे भाषा स्पष्ट, अर्थवान हो जाती है। लिखित भाषा में इस ठहराव को दिखाने के लिए कुछ विशेष प्रकार के चिह्नों का प्रयोग करते हैं जिन्हें विराम-चिह्न कहा जाता है।
विराम चिन्ह के कई प्रकार हैं :-
1. पूर्ण विराम-(।)
जब वाक्य खत्म हो जाता है तब वाक्य के अंत में पूर्ण विराम (।) लगाया जाता है।
उदहारण :
राम खाना खाता है।
मोहन स्कूल जाता है।
2. अल्प विराम- (,)
जहाँ थोड़ी सी देर रुकना पड़े, वहाँ अल्प विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता हैं अथार्त एक से अधिक वस्तुओं को दर्शाने के लिए अल्प विराम चिन्ह (,) लगाया जाता है।
उदहारण :
राम, सीता, लक्षम और हनुमान ये सभी भगवान् के रूप में पूजे जाते हैं।
3. उप विराम- (:) :
जब किसी शब्द को अलग दर्शाया जाता है तो वह पर उप विराम चिन्ह (:) लगाया जाता है अथार्त जहाँ पर किसी वस्तु या विषय के बारे में बताया जाए तो वहां पर उप विराम चिन्ह (:) का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण :
कृष्ण के अनेक नाम : मोहन, श्याम, मुरली, कान्हा।
उदहारण : राम खाना खाता है।
4. विस्मयादिबोधक चिन्ह- (!)
विस्मयादिबोधक चिन्ह (!)का प्रयोग वाक्य में हर्ष, विवाद, विस्मय, घृणा, आश्रर्य, करुणा, भय इत्यादि का बोध कराने के लिए किया जाता है अथार्त इसका प्रयोग अव्यय शब्द से पहले किया जाता है।
उदाहरण :
हाय !, आह !, छि !, अरे !, शाबाश !
आह ! कितना सुहावना मौसम है।
5. अर्द्ध विराम- (;)
पूर्ण विराम से कुछ कम, अल्पविराम से अधिक देर तक रुकने के लिए ‘अर्ध विराम’ का प्रयोग किया जाता है अथार्त एक वाक्य या वाक्यांश के साथ दूसरे वाक्य या वाक्यांश का संबंध बताना हो तो वहाँ अर्द्ध विराम (;)का प्रयोग होता है।
उदाहरण :
सूर्यास्त हो गया; लालिमा का स्थान कालिमा ने ले लिया ।
6. प्रश्नवाचक चिन्ह- (?)
प्रश्नवाचक वाक्य के अंत में ‘प्रश्नसूचक चिन्ह’ (?) का प्रयोग किया जाता है अथार्त जब किसी वाक्य में सवाल पूछे जाने का भाव उत्पन्न हो तो उस वाक्य के अंत में प्रशनवाचक चिन्ह (?) का प्रयोग किया जाता है
उदहारण :
वह क्या खा रहा है?
शिव कौन थे?
7. योजक चिन्ह- (–)
दो शब्दों में परस्पर संबंध स्पष्ट करने के लिए तथा उन्हें जोड़कर लिखने के लिए योजक-चिह्न (–) का प्रयोग किया जाता है।
उदहारण :
वह राम–सीता की मूर्ती है।
सुख–दुःख जीवन में आते रहते हैं।
8. कोष्ठक चिन्ह- ()
वाक्य के बीच में आए शब्दों अथवा पदों का अर्थ स्पष्ट करने के लिए कोष्ठक का प्रयोग किया जाता है अथार्त कोष्ठक चिन्ह () का प्रयोग अर्थ को और अधिक स्पस्ट करने के लिए शब्द अथवा वाक्यांश को कोष्ठक के अन्दर लिखकर किया जाता है।
उदहारण :
अध्यापक (चिल्लाते हुए) " निकल जाओ कक्षा से।"
विश्वामित्र (क्रोध में काँपते हुए) ठहर जा।
9. पदलोप चिन्ह-(…)
जब वाक्य या अनुच्छेद में कुछ अंश छोड़ कर लिखना हो तो लोप चिह्न (…) का प्रयोग किया जाता है।
उदहारण :
राम ने मोहन को गली दी…।
मैं सामान उठा दूंगा पर…।
10. अवतरण या उदहारणचिन्ह- ( “…” )
किसी की कही हुई बात को उसी तरह प्रकट करने के लिए अवतरण चिह्न (”…”) का प्रयोग किया जाता है।
उदहारण :
जयशंकर प्रसाद ने कहा है ― ”जीवन विश्र्व की सम्पत्ति है।”
राम ने कहा, ”सत्य बोलना सबसे बड़ा धर्म है।”