Vishva mein hamari coronavirus ka janm jeevan shaili par prabhav
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कोरोना वायरस के कारण हमारी आदतें और हमारी दिनचर्या काफी हद तक बदल गई है। हमारी जीवनशैली में हो रहे इन बदलावों को हम हर दिन अनुभव भी कर रहे हैं। इतिहास की कई बड़ी आपदाओं के बाद सामाजिक, आर्थिक समझ और जीवनशैली में बदलाव देखे गए हैं। कोरोना संकट के दौर में भी देश दुनिया में सामाजिक जीवन काफी हद तक प्रभावित हो रहा है। हमारे खानपान और तौर-तरीकों से लेकर हमारी कार्यशैली बदल रही है। आने वाले समय में इन बदलावों का बड़ा असर पड़ने वाला है। हो सकता है कि इस दौरान हमारी बदली आदतें हमारे जीवन का स्थाई हिस्सा बन जाए। आइए, जानते हैं कि किस तरह कोरोना ने हमारी जीवनशैली बदल दी है:
नमस्ते से शुरुआत करते हैं
भारतीय संस्कृति में हाथ जोड़कर 'नमस्ते' से अभिवादन करने की परंपरा रही है। कोरोना महामारी जब फैली तो स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने हाथ मिलाने की आदत से परहेज करने की सलाह दी, क्योंकि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को होने वाली इस बीमारी में हाथों के जरिए संक्रमण फैलने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। सोशल मीडिया में #DontShakeHands और #Namaste जैसे हैशटैग वायरल हुए और इसके साथ ही भारत में भी हैंडशेक करने वाले लोग अपनी पुरानी संस्कृति में लौटे, जबकि पूरी दुनिया ने हाथ मिलाने की जगह नमस्ते करने की भारतीय संस्कृति अपना ली है।
साफ-सफाई बरतने की आदत
कोरोना संक्रमण के डर से हमारी साफ-सफाई की आदतों में काफी सुधार आया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना से बचने के लिए दिनभर समय-समय पर हाथ धोते रहने की सलाह दी। हाथों को 20 सेकेंड तक साबुन और पानी से धोना जरूरी है। यह हमारी आदत बन गई। इंटरनेट पर हाथ धोने के सही तरीके खूब सर्च हुए। पास रखे जाने वाले अन्य जरूरी सामानों में एल्कोहल युक्त सैनिटाइजर भी शामिल हुआ। घर के सामानों से लेकर छूने वाली सतहों के सैनिटाइजेशन के प्रति हम जागरूक हुए।
वर्क फ्रॉम होम संस्कृति
कोरोना संकट के दौरान एक बड़ा बदलाव ऑफिस कल्चर यानी कार्यालयी संस्कृति में भी हुआ। संक्रमण पर लगाम लगाने के लिए आईटी से लेकर मार्केटिंग सेक्टर ने भी घर से काम करने की सुविधा दी है। लोग ऑफिस जाने की बजाय घर से काम कर रहे हैं। आर्किटेक्ट विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले समय में हमारे कार्यस्थलों की संरचना भी बदल सकती है। सहकर्मियों के बीच शारीरिक दूरी बढ़ाई जा सकती है। फर्नीचर से लेकर आधारभूत संरचना में भी बदलाव देखा जा सकता है।
पहनावे और रहन-सहन में बदलाव
कोरोना के कारण देश दुनिया में घोषित लॉकडाउन के दौरान हमारे पहनावे और रहन-सहन में बड़ा बदलाव हुआ है। ऑफिस, बैंक या अन्य कार्यस्थल जाना नहीं है, इसलिए शर्ट, पैंट, जींस, कोर्ट या अन्य किसी प्रोफेशनल आउटफिट की जगह लोग टीशर्ट, पायजामा जैसे कंफर्ट कपड़े पहन रहे हैं। कामकाजी महिलाएं भी घर में साड़ी, कुर्ती वगैरह या किसी अन्य प्रोफेशनल आउटफिट की जगह नाइटी या अन्य कंफर्टेबल यानी आरामदेह घरेलू कपड़े पहन रही हैं। वार्डरोब कलेक्शन से लेकर हमारे फैशन और स्टाइल में भी लोग प्रयोग करते नजर आ रहे हैं।
सीखने की कला
इन दिनों लोगों में नई-नई चीजें सीखने की ललक बढ़ी है। इंटरनेट पर तो ऑनलाइन कोर्सों की भरमार है। लोग अपनी हॉबी यानी शौक को विस्तार दे रहे हैं। गाना गाने से लेकर गिटार बजाने तक, चित्रकारी से लेकर अदाकारी तक, फोटोग्राफी से लेकर बागवानी तक लोग काफी कुछ सीख रहे हैं। सोशल मीडिया पर यदि एक चक्कर लगा कर आएंगे तो हर तीसरा व्यक्ति अपना कौशल दिखाता, बढ़ाता नजर आएगा। इस लॉकडाउन पीरियड का उपयोग लोग अपनी कला और कौशल को निखारने में लगा रहे हैं। ये चीजें भविष्य में काम ही आएंगी, कम से कम नुकसान तो नहीं ही देंगी।
कितने डिजिटल फ्रेंडली हुए हम
इस डिजिटल युग में हम काफी हद तक अपडेट हुए हैं। खासकर इस लॉकडाउन पीरियड में जबकि रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास भी कैश की जगह डिजिटल लेनदेन की अपील कर चुके हैं, लोगों में यह संस्कृति बढ़ी है। लोग कैश की जगह पेटीएम, फोनपे और गूगल-पे जैसे मोबाइल प्लेटफॉमों के जरिए यूपीआई लेनदेन कर रहे हैं। शॉपिंग ऑनलाइन हो रही है, बैंकिंग ऑनलाइन, पढ़ाई-लिखाई से लेकर ऑफिस के काम तक ऑनलाइन हो रहे हैं और बिल भी ऑनलाइन भरी जा रही है। यहां तक कि इंटरनेट पर ऑनलाइन आरती की सर्चिंग में 73 फीसदी बढ़ोतरी बताती है कि लोगों द्वारा भगवान के दर्शन और उनकी प्रार्थना करने का तरीका भी ऑनलाइन हो चला है।
धूम्रपान की आदत
कोरोना वायरस से संबंधित रिसर्च में यह बात तो प्रमाणित हो चुकी है कि कमजोर इम्यून सिस्टम वालों को इसके संक्रमण का खतरा ज्यादा है। धूम्रपान व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है और शोधकर्ताओं के मुताबिक, धूम्रपान करने वाले लोगों को भी कोरोना संक्रमण का ज्यादा खतरा है। ऐसे में बहुत सारे लोग अब धूम्रपान की आदत छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय सूचना सेवा के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में क्षेत्र प्रचार पदाधिकारी के रूप में कार्यरत प्रेम कुमार बताते हैं कि इंटरनेट पर 'धूम्रपान कैसे छोड़ें' की सर्चिंग का आंकड़ा बढ़ा है, जिसका मतलब साफ है कि लोग धूम्रपान छोड़ना चाह रहे हैं। यह सकारात्मक बदलाव है।