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कपोल वक्ष
(2) धनुषकार टीमें
स्कू वाचकालालिमा मे निम्नलिपिल मलाला
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आँत| आतों]] में यह गति क्रमाकुंचन (=क्रम + आकुंचन / Peristalsis) कहलाती है। यह गति सारे पाचक नाल में, ग्रासनली से लेकर मलाशय तक, होती रहती है, जिससे खाया हुआ या पाचित आहार निरंतर अग्रसर होता जाता है। अन्य आशयों में तथा वाहिकाओं में भी यह गति होती है।
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