visthapan ki samasya par nibandh in 200 words
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विस्थापन का अर्थ होता है अपना घर और स्थान छोड़ना। दो-चार दिन के लिए नहीं बल्कि सदा के लिए। यह स्थिति बहुत पीड़ादायक होती है जिससे कोई भी व्यक्ति अपने जीवन काल में नहीं गुजारना चाहता। अपने घर से सभी को बहुत लगाव होता है चाहे वह झोपड़ी हो और दूसरों की नजर में में बेकार ही क्यों न हो। वह उसे छोड़ना नहीं चाहता चाहे वह जैसा भी हो। वह उसे सिर छिपाने का स्थान देता है। जब जब कोई प्राकृतिक विपदा ,आर्थिक व सामाजिक स्थिति आती है तब तब विस्थापन की समस्या लोगों के सामने खड़ी हो जाती है। भूकंप ,तूफान ,बाढ़ आदि की स्थितियों में लोगों को अपने घर से विस्थापित होना पड़ता है पर हमेशा के लिए नहीं बल्कि कुछ देर के लिए। इन स्थितियों में आर्थिक हानि होती है पर व्यक्ति फिर स्थिति सामान्य हो जाने पर अपने घर वापस लौट आता है। अपना टूटा-फूटा घर फिर से तैयार कर लेता है। पर राजनीतिक कारणों से कभी-कभी पूर्ण रूप से विस्थापन हो जाता है। जब हमारे देश का बंटवारा अंग्रेज सरकार ने कर दिया था तब लाखों परिवारों को अपना बसा बसाया घर रातों-रात छोड़कर दूसरी जगह जाना पड़ा था। उस वक्त आसमान ही सिर पर छत का काम करता है। सन 1972 में भारत और बांग्लादेश के बीच भी यही हुआ जब बांग्लादेश का निर्माण हुआ उस समय लाखों की संख्या में बांग्लादेशी भारत से विस्थापित हो गए थे और लाखों लोग विस्थापित हो कर भारत आ गए थे।
विस्थापन की स्थिति व्यक्ति को मानसिक रूप से तोड़ देती है। व्यक्ति जहां कहीं भी रहने के लिए जाता है उसे वहां की परिस्थितियों में खुद को डालना पड़ता है नई तरीके से स्थापित होना पड़ता है। किसी पेड़ पौधे को उखाड़कर दूसरी जगह लगाया जाए तो वह भी कई दिनों तक मुरझाया रहता है। टिहरी नगर के डूब जाने से लोग विस्थापित हुए हैं ।चाहे सरकार ने उनके पुनर्वास का इंतजाम किया है उनकी हुई नुकसान की पूर्ति की है पर वह लोग इस विस्थापन को कभी नहीं भूल पाएंगे।