Vriksharopan ki aavashakta par nibhand
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यूँ तो हम वृक्षारोपण, वृक्ष लगाने जैसे शब्दों का समर्थन करते है,किन्तु एक कदम आगे आकर वृक्षारोपण करने की नहीं सोचते। इतना भी सोचते की यदि प्रति व्यक्ति 5-5 पौधे लगाये व उसको पेड़ के बनते तक देखभाल करे तो, ग्लोबल वार्मिंग का दंश झेल रहा भारतवर्ष और पूरा विश्व एक पूर्ण सुव्यस्थित पर्यावरणीय शुद्ध वातावरण व्याप्त हो जायेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल २-४ लाख लोगों की मौत का कारण सीधे सीधे वायु प्रदुषण है, जबकि इनमे से १-५ लाख लोग आंतरिक वायु प्रदुषण से मारे जाते है।
बच्चों पर प्रभाव :दुनिया भर के अत्यधिक वायु प्रदुषण वाले शहरों में ऐसी संभावना है कि उनमे रहने वाले बच्चों में कम जन्म दर के अतिरिक्त अस्थमा, निमोनिया और दूसरी श्वास सम्बन्धी परेशानियाँ विकसित हो सकती है।यदि शासकीय वृक्षारोपण की बात करें तो वो केवल एक दिखावा मात्र है,यदि ग्लोबल वार्मिंग, अतिवृष्टि, अनावृष्टि, अकाल जैसी भयानक मुसीबतों की फिक्र होती, तो भारतवर्ष सहित विश्व में संविधान लागू के एक वर्ष में इसका उपाय ढूंढकर इसे व्यवस्थित किया सकता था. इस तरह नए नए कानून बनाने की आवश्यकता नहीं होती।
समस्या/आलस :शासकीय मद से वृक्षारोपण के लिये करोड़ो रुपये लगाये जाते है,वृक्षों की सुरक्षा के लिये करोड़ो रुपये के शेड लगाये जाते है,लेकिन इन सबका क्या अर्थ है, जब तक की वृक्षों की उचित देखभाल नहीं की जाती है। वृक्षारोपण करते हुए कितने ही फोटो खिचाये जाते है। प्रचार के लिये न्यूज़, अखबार, पोस्टर में लाखों खर्च किये जाते है लेकिन एक महीने बाद ही वृक्षों की दशा दयनीय हो जाती है, वृक्षारोपण किया है, तो उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी तो ले। ऐसे पौधे लगाये जा रहे है जो जल्दी से उगते है, ऐसे पौधे हवा के छोटे तूफ़ान से भी टूटकर बिखर जाते है, चलिए ये भी माना की ऐसे पौधे भी लगाना चाहिए, लेकिन ऐसे पौधे का क्या लाभ जो वातावरण को शुद्ध ही नहीं करते है।
उपाय : ऐसे वृक्ष लगाया जाये जो हमारे वातावरण को स्वच्छ बनाये रखने के साथ साथ ही हमारे सेहत को बुरे प्रभावों (धूल, गंदगी, प्रदूषण) से बचाए. इसके लिये सबसे पहले इन्सान को वृक्षारोपण के फायदों के बारे मे जागरूक करना अति आवश्यक है। लाभदायी वृक्षों जैसे साल, सागौन, पीपल, नीम, बरगद, साजा आदि का वृक्षारोपण किया जाये. ‘5 रु./वृक्ष’ की दर से वृक्षारोपण का नया कानून बनाने से शायद इसमें गति आएगी, वृक्षारोपण से वृक्ष निर्माण तक देखरेख करने वालों को 5 रु./वृक्ष के हिसाब से प्रतिमाह रुपये प्रदान किये जायें,जैसे ही पौधा वृक्ष मे तैयार होता है, उस दिन % के हिसाब से उसका बोनस भी दिया जाये. इसके लिये पौधा का वितरण भी शासकीय या अशासकीय भी हो सकता है. हम सभी जनता को इतना तो ज्ञात है कि भारत वर्ष मे धन की कोई कमी नहीं।
वृक्षारोपण के फायदे :1. सर्वप्रथम लाभ तो ‘वृक्ष’ शब्द से ही लगने लगता है, क्योकि वृक्ष से केवल और केवल लाभ ही होता है।2. वृक्ष, वातावरण मे फैली दूषित वायु को शुद्ध करता है ।3. वर्षा ऋतु में वर्षा वायु को रोकता है, जिससे वर्षा की सम्भावना अधिक होती है ।4. वृक्ष अपने जड़ों मे मिट्टी को बांधकर रखता है, जिससे मृदा अपरदन नहीं होता है ।5. वृक्ष अपने आसपास के वातावरण (दूषित वायु की स्वच्छता) के साथ साथ भूमि को भी ठंडा रखता है, वर्तमान मे सबसे बड़ी मुसीबत ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से कम से कम थोड़ी ही सही पर राहत जरुर दिलायेगा।6. वृक्षारोपण यदि एक क्रम मे किया जाये तो सुन्दरता की झलक प्रदर्शित करता है ।7. एक ओर वायु को स्वच्छ बनाता है तो दूसरी ओर इन वृक्षों को देवताओ का निवास बताया गया है जिन्हें भारतीय संस्कृति मे बड़ा महत्व है।· बरगद मे समस्त देवताओं का निवास बताया गया है, मुख्य रूप से ब्रह्म जी का,· पीपल मे विष्णु जी का वास होना माना गया है,· नीम मे माँ दुर्गा का निवास स्थान बताया गया है, विभिन्न वृक्षों के छाल, बीज, फल. पत्ते कई प्रकार की दवाइयों मे उपयोग किये जाते है जैसे – नीम के पत्तो को पानी मे उबालकर नहाने से शरीर के रोग दूर होते है, इसी प्रकार उसके डालियां दातुन के रूप मे उपयोग किया जाता है, यह एक आयुर्वेदिक औषधि है।
अन्य उपाय :· ऐसे वाहन जिनमें अधिक मात्रा मे धुंए निकलते हो उस पर सख्त पाबन्दी की जरुरत है।· सीमेंटीकरण तथा डामरीकरण से पृथ्वी और गर्म हो रही है, जहाँ आवश्यकता नहीं है वहाँ भी डामरीकरण किया जा रहा है, डामरीकरण से वर्षा का जल भूमि मे जाने के बजाय, रोड मे भर जा रही है या बेतरतीब इधर उधर जा रही है, ये जल हमारे लिये बेहद लाभकारी है, इसे एक दिशा देकर तालाबों, कुओं, बंधो, नहरों, मे इकठ्ठा किया जाना चाहिए, जो भविष्य मे हमारे लिये उपयोगी बन सके।· जिसके द्वारा वृक्ष काटे गए, चाहे वह कोई निजी संस्थान हो या शासकीय संस्था उन सभी के द्वारा उतने ही संख्या मे वृक्ष लगाने के आदेश दिया जाना चाहिए।· प्रत्येक कारखानों के मालिको को सख्त आदेश हो की अपने कारखानें के चारो ओर ‘‘Eco Friendly environment’’ का माहौल बनाये।
(मेरी ये संक्षिप्त लेख मेरी आम सोच है, जिसे आप जैसे पाठक के साथ मिलकर इसका समर्थन करता हूँ, सर्वप्रथम यह सोचे की हम अपने बच्चों के लिये क्या बचा रहे है)
बच्चों पर प्रभाव :दुनिया भर के अत्यधिक वायु प्रदुषण वाले शहरों में ऐसी संभावना है कि उनमे रहने वाले बच्चों में कम जन्म दर के अतिरिक्त अस्थमा, निमोनिया और दूसरी श्वास सम्बन्धी परेशानियाँ विकसित हो सकती है।यदि शासकीय वृक्षारोपण की बात करें तो वो केवल एक दिखावा मात्र है,यदि ग्लोबल वार्मिंग, अतिवृष्टि, अनावृष्टि, अकाल जैसी भयानक मुसीबतों की फिक्र होती, तो भारतवर्ष सहित विश्व में संविधान लागू के एक वर्ष में इसका उपाय ढूंढकर इसे व्यवस्थित किया सकता था. इस तरह नए नए कानून बनाने की आवश्यकता नहीं होती।
समस्या/आलस :शासकीय मद से वृक्षारोपण के लिये करोड़ो रुपये लगाये जाते है,वृक्षों की सुरक्षा के लिये करोड़ो रुपये के शेड लगाये जाते है,लेकिन इन सबका क्या अर्थ है, जब तक की वृक्षों की उचित देखभाल नहीं की जाती है। वृक्षारोपण करते हुए कितने ही फोटो खिचाये जाते है। प्रचार के लिये न्यूज़, अखबार, पोस्टर में लाखों खर्च किये जाते है लेकिन एक महीने बाद ही वृक्षों की दशा दयनीय हो जाती है, वृक्षारोपण किया है, तो उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी तो ले। ऐसे पौधे लगाये जा रहे है जो जल्दी से उगते है, ऐसे पौधे हवा के छोटे तूफ़ान से भी टूटकर बिखर जाते है, चलिए ये भी माना की ऐसे पौधे भी लगाना चाहिए, लेकिन ऐसे पौधे का क्या लाभ जो वातावरण को शुद्ध ही नहीं करते है।
उपाय : ऐसे वृक्ष लगाया जाये जो हमारे वातावरण को स्वच्छ बनाये रखने के साथ साथ ही हमारे सेहत को बुरे प्रभावों (धूल, गंदगी, प्रदूषण) से बचाए. इसके लिये सबसे पहले इन्सान को वृक्षारोपण के फायदों के बारे मे जागरूक करना अति आवश्यक है। लाभदायी वृक्षों जैसे साल, सागौन, पीपल, नीम, बरगद, साजा आदि का वृक्षारोपण किया जाये. ‘5 रु./वृक्ष’ की दर से वृक्षारोपण का नया कानून बनाने से शायद इसमें गति आएगी, वृक्षारोपण से वृक्ष निर्माण तक देखरेख करने वालों को 5 रु./वृक्ष के हिसाब से प्रतिमाह रुपये प्रदान किये जायें,जैसे ही पौधा वृक्ष मे तैयार होता है, उस दिन % के हिसाब से उसका बोनस भी दिया जाये. इसके लिये पौधा का वितरण भी शासकीय या अशासकीय भी हो सकता है. हम सभी जनता को इतना तो ज्ञात है कि भारत वर्ष मे धन की कोई कमी नहीं।
वृक्षारोपण के फायदे :1. सर्वप्रथम लाभ तो ‘वृक्ष’ शब्द से ही लगने लगता है, क्योकि वृक्ष से केवल और केवल लाभ ही होता है।2. वृक्ष, वातावरण मे फैली दूषित वायु को शुद्ध करता है ।3. वर्षा ऋतु में वर्षा वायु को रोकता है, जिससे वर्षा की सम्भावना अधिक होती है ।4. वृक्ष अपने जड़ों मे मिट्टी को बांधकर रखता है, जिससे मृदा अपरदन नहीं होता है ।5. वृक्ष अपने आसपास के वातावरण (दूषित वायु की स्वच्छता) के साथ साथ भूमि को भी ठंडा रखता है, वर्तमान मे सबसे बड़ी मुसीबत ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से कम से कम थोड़ी ही सही पर राहत जरुर दिलायेगा।6. वृक्षारोपण यदि एक क्रम मे किया जाये तो सुन्दरता की झलक प्रदर्शित करता है ।7. एक ओर वायु को स्वच्छ बनाता है तो दूसरी ओर इन वृक्षों को देवताओ का निवास बताया गया है जिन्हें भारतीय संस्कृति मे बड़ा महत्व है।· बरगद मे समस्त देवताओं का निवास बताया गया है, मुख्य रूप से ब्रह्म जी का,· पीपल मे विष्णु जी का वास होना माना गया है,· नीम मे माँ दुर्गा का निवास स्थान बताया गया है, विभिन्न वृक्षों के छाल, बीज, फल. पत्ते कई प्रकार की दवाइयों मे उपयोग किये जाते है जैसे – नीम के पत्तो को पानी मे उबालकर नहाने से शरीर के रोग दूर होते है, इसी प्रकार उसके डालियां दातुन के रूप मे उपयोग किया जाता है, यह एक आयुर्वेदिक औषधि है।
अन्य उपाय :· ऐसे वाहन जिनमें अधिक मात्रा मे धुंए निकलते हो उस पर सख्त पाबन्दी की जरुरत है।· सीमेंटीकरण तथा डामरीकरण से पृथ्वी और गर्म हो रही है, जहाँ आवश्यकता नहीं है वहाँ भी डामरीकरण किया जा रहा है, डामरीकरण से वर्षा का जल भूमि मे जाने के बजाय, रोड मे भर जा रही है या बेतरतीब इधर उधर जा रही है, ये जल हमारे लिये बेहद लाभकारी है, इसे एक दिशा देकर तालाबों, कुओं, बंधो, नहरों, मे इकठ्ठा किया जाना चाहिए, जो भविष्य मे हमारे लिये उपयोगी बन सके।· जिसके द्वारा वृक्ष काटे गए, चाहे वह कोई निजी संस्थान हो या शासकीय संस्था उन सभी के द्वारा उतने ही संख्या मे वृक्ष लगाने के आदेश दिया जाना चाहिए।· प्रत्येक कारखानों के मालिको को सख्त आदेश हो की अपने कारखानें के चारो ओर ‘‘Eco Friendly environment’’ का माहौल बनाये।
(मेरी ये संक्षिप्त लेख मेरी आम सोच है, जिसे आप जैसे पाठक के साथ मिलकर इसका समर्थन करता हूँ, सर्वप्रथम यह सोचे की हम अपने बच्चों के लिये क्या बचा रहे है)
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