Vyam ke labh anuched lilhiye
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Explanation:
हमने बहुत बार सुना है कि पहला सुख है निरोगी शरीर। इसी की वजह से हम अन्य सभी सुखों का आनंद उठा सकते हैं। अपनी पढ़ाई पर ध्यान भी हम तभी दे सकते हैं जब हमारा शरीर स्वस्थ हो। व्यायाम शरीर को चुस्त और फुर्तीला रखने का उत्तम मार्ग है|
प्रात:काल की सैर, तैराकी, योगाभ्यास, खेल जैसे क्रिकेट, बेडमिंटन, कबड्डी इत्यादि यह सभी व्यायाम के साधन हैं। अपनी रुचि और इच्छा के अनुसार हम किसी भी व्यायाम का चयन कर सकते हैं। आवश्यक यह है कि व्यायाम नियमित रूप से किया जाए। जोश में एक दिन क्षमता से अधिक कर हम थक गए इसलिए चार दिन तक शरीर हिला न पाएँ, ऐसा नहीं होना चाहिए।
व्यायाम शरीर को सुडौल बनाकर, रक्त संचार बढ़ाता है। हमारे अंग स्फूर्ति और ताकत से परिपूर्ण हो जाते हैं। स्वस्थ शरीरवाला व्यक्ति सदा प्रसन्नचित्त भी रहता है।
कोई भी व्यायाम आरंभ करने से पहले कुछ सावधानियों का पालन करना आवश्यक है। व्यायाम करते समय यदि शरीर के किसी अंग में तनाव महसूस हो तो तुरंत किसी चिकित्सक को दिखाना चाहिए। किसी कुशल व्यक्ति के निर्देशन में ही व्यायाम करना चाहिए।